बिहार के सभी कर्मचारी और पेंशनधारियों को मिलेगी छठ की सौगात, अग्रिम वेतन भुगतान का निर्देश जारी
पटना। बिहार सरकार ने राज्य के लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए त्योहारों के अवसर पर बड़ी राहत की घोषणा की है। छठ जैसे प्रमुख पर्वों को देखते हुए वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि अक्टूबर 2025 का वेतन और पेंशन 21 अक्टूबर से पहले अग्रिम रूप से भुगतान कर दिया जाए। सरकार के इस निर्णय से राज्य के सरकारी कर्मियों और पेंशनधारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
अग्रिम वेतन का आदेश जारी
वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि छठ पर्व और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अक्टूबर माह का वेतन समय से पहले कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उपलब्ध कराया जाए। सामान्यत: वेतन का भुगतान महीने के अंतिम कार्य दिवस पर होता है, लेकिन इस बार त्योहारों की भीड़ और चुनावी कार्यों को देखते हुए इसे अग्रिम रूप से देने का निर्णय लिया गया है। यह आदेश राज्य सरकार की संवेदनशीलता और समय की जरूरत को ध्यान में रखते हुए लिया गया कदम माना जा रहा है। इससे कर्मचारियों को त्योहारों की तैयारियों में आर्थिक सुविधा मिलेगी और बाजारों में भी रौनक बढ़ेगी।
निर्वाचन आयोग की सहमति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं, ऐसे में आचार संहिता लागू होने के कारण सरकार का कोई भी वित्तीय निर्णय निर्वाचन आयोग की अनुमति से ही लागू हो सकता है। इस आदेश के पहले निर्वाचन आयोग को इसकी जानकारी दी गई थी। आयोग ने इस शर्त पर सहमति दी कि इस निर्णय से किसी प्रकार का राजनीतिक लाभ न उठाया जाए और आचार संहिता का पूर्ण पालन किया जाए। इस तरह सरकार ने पारदर्शिता और निष्पक्षता का ध्यान रखते हुए यह कदम उठाया है।
शिक्षा विभाग में विशेष निर्देश
वित्त विभाग के निर्देश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। निदेशक सज्जन आर. ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया है कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की अद्यतन जानकारी तीन दिनों के भीतर गूगल शीट या क्यूआर कोड के माध्यम से अपलोड की जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वेतन अग्रिम रूप से हर पात्र व्यक्ति तक समय पर पहुंच सके। जिला स्तर पर डेटा के अद्यतन रहने से भुगतान प्रक्रिया में कोई तकनीकी बाधा न आए, इसलिए विभाग ने यह व्यवस्था की है।
चिकित्सा विभाग में अवकाश पर रोक
त्योहारों और चुनावी कार्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी विशेष कदम उठाए हैं। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अविलेस कुमार ने राज्य मुख्यालय के निर्देशानुसार सभी चिकित्सकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का अवकाश रद्द कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि चुनावी अवधि के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता बनाए रखना आवश्यक है। हालांकि, यदि किसी कर्मचारी को किसी विशेष कारण से अवकाश की आवश्यकता होगी तो उस पर विचार किया जा सकता है। इस निर्णय से स्पष्ट है कि सरकार प्रशासनिक और स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह सक्रिय रखना चाहती है ताकि किसी भी परिस्थिति में कार्य प्रभावित न हो।
चुनावी माहौल और प्रशासनिक तत्परता
बिहार में इस समय चुनावी गतिविधियाँ तेज़ हैं। निर्वाचन कार्यों के लिए प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से सक्रिय है। कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलने से वे न केवल आर्थिक रूप से सक्षम होंगे बल्कि अपने कार्यों को भी मन लगाकर कर पाएंगे। यह निर्णय राज्य की प्रशासनिक तैयारी का भी एक हिस्सा है ताकि किसी भी स्तर पर असंतोष या अव्यवस्था की स्थिति न बने।
आर्थिक दृष्टिकोण से प्रभाव
त्योहारों से ठीक पहले वेतन और पेंशन का अग्रिम भुगतान राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। जब लोगों के पास खर्च करने की क्षमता बढ़ती है तो बाजारों में मांग बढ़ती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आती है। इससे न केवल आम नागरिक बल्कि छोटे व्यवसायी और दुकानदार भी लाभान्वित होते हैं। बिहार सरकार का यह निर्णय न केवल कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहतभरा कदम है, बल्कि यह आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। छठ जैसे बड़े पर्वों से पहले वेतन मिलने से राज्य के लाखों परिवारों को सुविधा मिलेगी। साथ ही, आगामी विधानसभा चुनावों के बीच इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार प्रशासनिक दक्षता और जनसुविधा दोनों को समान प्राथमिकता दे रही है। यह कदम त्योहारों की खुशियों के साथ-साथ प्रशासनिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है, जो राज्य की सुचारू व्यवस्था और संवेदनशील शासन की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है।


