October 28, 2025

पीएम मोदी ने देशवासियों को लिखा पत्र, कहा- श्री राम ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया, ऑपरेशन सिंदूर बना उदाहरण

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के अवसर पर देशवासियों के नाम एक भावनात्मक और प्रेरणादायी पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने न केवल त्योहार की शुभकामनाएं दीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति को भी रेखांकित किया। इस पत्र में उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेने और आधुनिक भारत को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने का संदेश दिया।
भगवान श्रीराम से मिली धर्म और न्याय की प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र की शुरुआत भगवान श्रीराम के आदर्शों से की। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म, न्याय और सत्य के मार्गदर्शक हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि श्रीराम का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे व्यक्ति मर्यादा का पालन करते हुए अन्याय के खिलाफ खड़ा हो सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम हमें यह सिखाते हैं कि धर्म का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन वही सच्ची विजय की ओर ले जाता है। उन्होंने अपने संदेश में यह भी लिखा कि श्रीराम का युद्ध केवल रावण के खिलाफ नहीं था, बल्कि वह अधर्म और अन्याय के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि यह वही भावना है जो आज के भारत को प्रेरित करती है—जब भी अन्याय होता है, भारत धर्म और सत्य की रक्षा के लिए खड़ा होता है।
ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की नीतियों और नैतिक संकल्प का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में भारत ने दिखाया कि हमारा देश धर्म की रक्षा करता है और अन्याय का प्रतिशोध लेने की क्षमता रखता है। मोदी ने इसे भारत की नैतिकता, ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि आज का भारत न केवल सही के साथ खड़ा होता है, बल्कि गलत का जवाब देने में भी सक्षम है।
दीपावली का विशेष महत्व
प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि इस बार की दीपावली विशेष है, क्योंकि यह सिर्फ घरों में नहीं बल्कि उन इलाकों में भी रोशनी लेकर आई है, जो कभी हिंसा और नक्सलवाद से प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि अब वहां शांति और विकास की रोशनी फैल रही है, जो नए भारत की पहचान बन चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दीपावली अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, और आज भारत भी उसी राह पर आगे बढ़ रहा है—अज्ञान से ज्ञान की ओर, गरीबी से समृद्धि की ओर और निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर।
आत्मनिर्भर भारत और नागरिकों की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में भारत की आर्थिक प्रगति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। यह केवल सरकार की उपलब्धि नहीं, बल्कि हर नागरिक के योगदान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह समय है जब हर भारतीय को “विकसित भारत” के निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने लोगों से स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर बल दिया और कहा कि “स्थानीय के लिए वोकल” बनना हर भारतीय का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं, तो हम न केवल देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हैं बल्कि करोड़ों परिवारों की आजीविका को भी मजबूत करते हैं।
स्वास्थ्य, स्वच्छता और जीवनशैली पर जोर
अपने संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से स्वास्थ्य और स्वच्छता पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि स्वच्छता केवल एक अभियान नहीं, बल्कि जीवन का संस्कार है। उन्होंने नागरिकों से कहा कि वे अपने भोजन में तेल और नमक की मात्रा 10% तक घटाएं और योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं। मोदी ने कहा कि एक स्वस्थ नागरिक ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे दीपावली पर हम अपने घरों की सफाई करते हैं, वैसे ही अपने मन, विचार और समाज को भी स्वच्छ रखें। यही सच्ची आध्यात्मिकता है और यही भारत की संस्कृति की आत्मा है।
धर्म और राष्ट्र का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पत्र के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि धर्म और राष्ट्र निर्माण एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि जब हम धर्म के मार्ग पर चलते हैं, तो राष्ट्र अपने आप सशक्त होता है। उन्होंने लिखा कि भगवान श्रीराम का जीवन हमें यह सिखाता है कि सेवा, त्याग और मर्यादा के बिना राष्ट्र मजबूत नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पत्र केवल दीपावली की शुभकामनाओं का संदेश नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टिकोण का परिचायक भी है। इसमें उन्होंने श्रीराम के आदर्शों को आधुनिक भारत के विकास से जोड़ा है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे धर्म, सत्य, स्वच्छता, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलें। यह पत्र हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि दीपावली केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मज्ञान, अनुशासन और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक है। प्रधानमंत्री का यह संदेश देश को न केवल प्रेरित करता है, बल्कि आने वाले भारत की दिशा भी तय करता है—एक ऐसा भारत जो धर्मनिष्ठ, आत्मनिर्भर और विश्व में अग्रणी हो।

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