महागठबंधन में सहनी को मिलेगी 15 सीट, एक राज्यसभा और 2 एमएलसी का ऑफर, कई सीटों पर होंगे तेजस्वी की प्रत्याशी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख नजदीक आते-आते महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान अब धीरे-धीरे थमती नजर आ रही है। लंबे मोलभाव और बातचीत के बाद विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी को आखिरकार 15 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति मिल गई है। साथ ही उन्हें राज्यसभा की एक सीट और दो विधान परिषद (एमएलसी) सीटों का भी ऑफर दिया गया है। इस समझौते के बाद ऐसा माना जा रहा है कि महागठबंधन में चल रही असहमति अब काफी हद तक खत्म हो गई है।
सहनी की मांग और समझौते की राह
पिछले कई दिनों से वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी 40 सीटों की मांग पर अड़े हुए थे। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी ताकत साबित करना चाहती है, इसलिए उन्हें पर्याप्त सीटें मिलनी चाहिए। लेकिन आरजेडी की ओर से उन्हें 15 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की पेशकश की गई थी। लंबी बातचीत और राजनीतिक मोलभाव के बाद आखिरकार सहनी को मनाने में आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं को सफलता मिली। बताया जा रहा है कि उन्हें न केवल 15 सीटें दी गई हैं, बल्कि भविष्य में सहयोग बनाए रखने के बदले राज्यसभा की एक सीट और विधान परिषद में दो सीटों का भी आश्वासन दिया गया है। यह ऑफर वीआईपी के लिए बड़ा राजनीतिक अवसर माना जा रहा है।
दरभंगा में दिखी वीआईपी की सक्रियता
समझौते के बाद मुकेश सहनी ने चुनावी अभियान को गति देने के लिए दरभंगा जिले को केंद्र में रखा है। पार्टी दरभंगा की तीन सीटों—दरभंगा शहरी, गौड़ा बौराम और कुशेश्वरस्थान—से अपने उम्मीदवार उतार रही है। शुक्रवार सुबह मुकेश सहनी खुद दरभंगा पहुंचे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमेश साहनी को दरभंगा शहरी सीट से प्रत्याशी घोषित किया। वहीं, सहनी खुद गौड़ा बौराम सीट से नामांकन दाखिल करने वाले हैं। गौरतलब है कि इस सीट से पहले आरजेडी ने अफजल अली को टिकट दिया था, लेकिन अब यह सिंबल वापस लिया जा रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि महागठबंधन में अब वीआईपी को समुचित सम्मान देने की कोशिश की जा रही है।
उम्मीदवारों की घोषणा और नामांकन की प्रक्रिया
पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख होने के कारण महागठबंधन के सभी दल अब तेजी से उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं। आरजेडी, कांग्रेस और वीआईपी समेत अन्य सहयोगी दलों ने कई सीटों पर प्रत्याशियों को सिंबल दे दिए हैं। दरभंगा शहरी से उमेश साहनी को टिकट मिलने के बाद उन्होंने कहा कि वे पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुकेश सहनी ने उन पर जो भरोसा जताया है, उसे वे जनता के समर्थन से साबित करेंगे।
चुनाव कार्यक्रम और चरणवार मतदान
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न होगा। पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान होंगे, जिसमें 18 जिलों की सीटें शामिल हैं। वहीं, दूसरे चरण में 20 जिलों में 11 नवंबर को मतदान होंगे। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम के तहत सभी दल अपने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करने और प्रचार अभियान को तेज करने में जुट गए हैं।
2020 के चुनाव का संदर्भ
गौर करने वाली बात यह है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में गौड़ा बौराम सीट से वीआईपी ने एनडीए के साथ गठबंधन में प्रत्याशी उतारा था। उस चुनाव में वीआईपी की स्वर्णा सिंह विजयी हुई थीं। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और सुजीत कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। यह घटनाक्रम वीआईपी और भाजपा के बीच संबंधों में आई खटास को भी दर्शाता है। यही कारण है कि इस बार मुकेश सहनी ने महागठबंधन का रास्ता चुना है।
राजनीतिक समीकरण और संभावनाएँ
महागठबंधन में वीआईपी को 15 सीटें मिलने से यह स्पष्ट है कि आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने गठबंधन को एकजुट रखने की दिशा में अहम कदम उठाया है। हालांकि कई सीटों पर अब भी आरजेडी के प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें से कुछ सीटों पर वीआईपी के उम्मीदवारों के साथ तालमेल बनाना चुनौतीपूर्ण रहेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता वीआईपी के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें सीमित सीटों के बावजूद राज्यसभा और एमएलसी जैसी महत्वपूर्ण राजनीतिक संभावनाएँ मिली हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन के लिए भी यह एक राहत भरा समझौता है, क्योंकि इससे आंतरिक विवादों में कमी आएगी और चुनावी एकजुटता बनी रहेगी। बिहार महागठबंधन में मुकेश सहनी और आरजेडी के बीच हुआ यह समझौता चुनावी समीकरणों के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि अब गठबंधन के दल चुनाव प्रचार पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करेंगे। हालांकि सीटों की संख्या को लेकर वीआईपी की नाराजगी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, फिर भी यह समझौता सहनी के लिए एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। दरभंगा की तीन सीटों पर पार्टी की सक्रियता और मुकेश सहनी का नामांकन इस बात का प्रमाण है कि वीआईपी अब भी राज्य की राजनीति में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि यह नया समीकरण चुनावी नतीजों में कितना असर डाल पाता है।


