October 28, 2025

महागठबंधन में 18 सीटों पर लड़ेंगे सहनी, तेजस्वी से बनी सहमति, सीटों को लेकर कांग्रेस और लेफ्ट की खींचतान जारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर महागठबंधन के अंदर सीटों के बंटवारे की राजनीति अब अपने अंतिम चरण में पहुँचती दिख रही है। लंबे समय से चल रहे बातचीत और मतभेदों के बीच आखिरकार आरजेडी और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बीच सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को कुल 18 सीटों का अंतिम प्रस्ताव दिया गया है, जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है। यह समझौता न केवल महागठबंधन के अंदर जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।
वीआईपी और आरजेडी के बीच बनी सहमति
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी लंबे समय से महागठबंधन में अपनी पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर दबाव बना रहे थे। पहले यह अटकलें थीं कि वीआईपी को 12 से 15 सीटों तक सीमित किया जा सकता है, परंतु अंततः 18 सीटों का ऑफर देकर आरजेडी ने इस असंतोष को शांत करने की कोशिश की है। तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के बीच हाल ही में हुई मुलाकात के बाद यह सहमति बनी, जिससे गठबंधन के भीतर एक महत्वपूर्ण गतिरोध खत्म हुआ। यह समझौता महागठबंधन में संतुलन बनाने और छोटे घटक दलों को संतुष्ट करने का संकेत देता है।
कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीटों की तकरार
महागठबंधन में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बनी हुई है। कांग्रेस लगातार 60 से अधिक सीटों की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी उसे 58 सीटों पर सीमित रखना चाहती है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने यह भी संकेत दिया है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वे 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने को तैयार हैं। इससे दोनों दलों के बीच बातचीत कई बार ठप हो चुकी है। आरजेडी ने कांग्रेस के लिए 138 सीटों के आरक्षण का फॉर्मूला पेश किया था, जबकि शेष 40 सीटों को वाम दलों और वीआईपी में बांटने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि यह फॉर्मूला सभी घटक दलों को संतुष्ट नहीं कर सका, जिससे बातचीत की प्रक्रिया और जटिल हो गई।
वाम दलों की स्थिति और मांग
महागठबंधन के भीतर वाम दलों की स्थिति भी उल्लेखनीय है। भाकपा माले ने अब तक 18 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल जारी कर दिया है। वहीं सीपीआई ने 6 उम्मीदवारों की सूची जारी की है और अतिरिक्त चार सीटों पर सहमति बनते ही उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। सीपीएम के दो उम्मीदवारों में से एक ने नामांकन दाखिल कर दिया है और दूसरा 16 अक्टूबर को नामांकन करेगा। इन घोषणाओं से स्पष्ट है कि वामपंथी दल अपनी भूमिका को लेकर गंभीर हैं और वे गठबंधन के भीतर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।
सीट बंटवारे में पेच और आंतरिक असंतोष
महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान नहीं रहा है। कुछ दलों ने बिना अंतिम समझौते के ही अपने उम्मीदवारों को सिंबल जारी करना शुरू कर दिया है, जिससे कुछ सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ यानी आपसी मुकाबले की स्थिति बन सकती है। यह स्थिति गठबंधन के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है, क्योंकि इससे मतों का बिखराव होगा और विपक्षी दलों को लाभ मिल सकता है। मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने हालांकि 18 सीटों का ऑफर स्वीकार कर लिया है, परंतु पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति बनी हुई है। सहनी स्वयं यह महसूस कर रहे हैं कि पिछले चुनावों की तुलना में उनकी राजनीतिक हैसियत कमजोर हुई है, फिर भी उन्होंने व्यावहारिक राजनीति को ध्यान में रखते हुए समझौता करना उचित समझा।
गठबंधन में रणनीतिक संतुलन की कोशिश
आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव महागठबंधन में संतुलन बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। वीआईपी को मनाकर उन्होंने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि गठबंधन की एकजुटता उनके लिए प्राथमिकता है। वहीं कांग्रेस के साथ बातचीत के अंतिम चरण में वे संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं ताकि गठबंधन में कोई दरार न पड़े। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीट बंटवारे का यह चरण महागठबंधन की चुनावी रणनीति के लिए निर्णायक साबित होगा। अगर कांग्रेस और आरजेडी के बीच सहमति समय पर नहीं बन पाई, तो चुनाव से पहले गठबंधन में असंतोष बढ़ सकता है।
आगे की रणनीति और संभावनाएं
फिलहाल यह स्पष्ट हो गया है कि वीआईपी 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वाम दलों ने भी अपनी अधिकांश सीटों पर दावे ठोक दिए हैं। अब सारा ध्यान आरजेडी और कांग्रेस के बीच अंतिम तालमेल पर केंद्रित है। कांग्रेस के भीतर भी यह चर्चा चल रही है कि किन सीटों पर उसकी स्थिति मजबूत है और किन पर आरजेडी को छोड़ा जा सकता है।
महागठबंधन की इस जटिल सीट शेयरिंग प्रक्रिया से यह स्पष्ट झलकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों का समीकरण न केवल उम्मीदवार तय करेगा, बल्कि गठबंधन की सफलता और उसकी राजनीतिक ताकत को भी प्रभावित करेगा। बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे का मामला धीरे-धीरे सुलझ रहा है, परंतु अभी भी कई स्तरों पर मतभेद बने हुए हैं। वीआईपी को 18 सीटों का प्रस्ताव स्वीकार कराने से जहां एक तरफ गठबंधन में आंशिक राहत मिली है, वहीं कांग्रेस और आरजेडी के बीच का विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। वाम दल भी अपने हिस्से की सीटों को लेकर सक्रिय हैं। इन सबके बीच यह कहना उचित होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह सीट बंटवारे के इस जटिल समीकरण को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से सुलझा पाता है।

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