नीतीश ने सीएम आवास में फिर बुलाई जदयू की बैठक, सीट शेयरिंग पर चर्चा, आगामी रणनीति पर होगा मंथन
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच सत्तारूढ़ एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। खासकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की मांगों ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। इस बदलते राजनीतिक माहौल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। यह बैठक मुख्यमंत्री आवास पर होगी, जिसमें जेडीयू के वरिष्ठ नेता, मंत्री और संगठन के प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे।
बैठक का उद्देश्य और एजेंडा
बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा और एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पार्टी की रणनीति तय करना है। बताया जा रहा है कि बैठक में नीतीश कुमार पार्टी नेताओं से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति का फीडबैक लेंगे। वे यह जानने की कोशिश करेंगे कि किन क्षेत्रों में जेडीयू की स्थिति मजबूत है और किन सीटों पर सुधार की आवश्यकता है। इस समीक्षा के आधार पर पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देगी।
एनडीए में सीट शेयरिंग का विवाद
एनडीए गठबंधन में फिलहाल सीट बंटवारे का सबसे बड़ा पेंच चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) के कारण फंसा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान जेडीयू की कई सिटिंग सीटों पर दावा कर रहे हैं, जिनमें महनार, मटिहानी और चकाई जैसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर वर्तमान में जेडीयू के विधायक हैं। जेडीयू का कहना है कि जो सीटें पहले से उसके पास हैं, उन्हें किसी भी स्थिति में छोड़ा नहीं जाएगा। पार्टी का रुख साफ है कि गठबंधन धर्म निभाते हुए भी वह अपने जनाधार वाली सीटों से समझौता नहीं करेगी।
जेडीयू की रणनीति और नीतीश कुमार की भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की इस बैठक का मकसद दोहरा है—एक तरफ सीट बंटवारे पर पार्टी की एकजुट राय बनाना और दूसरी तरफ एनडीए में अपनी स्थिति को मजबूत करना। नीतीश कुमार गठबंधन के भीतर यह संदेश देना चाहते हैं कि जेडीयू बिहार की राजनीति में आज भी निर्णायक भूमिका निभाती है। बैठक में यह भी चर्चा होने की संभावना है कि किन सीटों पर नए उम्मीदवारों को मौका दिया जाए और किन मौजूदा विधायकों के टिकट बदले जाएं। जेडीयू का फोकस इस बार युवाओं, महिलाओं और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों में अपनी पकड़ मजबूत करने पर है।
विपक्ष पर भी रखी जाएगी नजर
बैठक में सिर्फ एनडीए के भीतर सीट बंटवारे की बात नहीं होगी, बल्कि विपक्ष के समीकरणों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। जेडीयू यह मूल्यांकन करेगी कि महागठबंधन किन सीटों पर मजबूत स्थिति में है और किन इलाकों में एनडीए को बढ़त मिल सकती है। पार्टी के रणनीतिक सलाहकारों ने विभिन्न जिलों से रिपोर्ट मंगाई है ताकि यह तय किया जा सके कि किस क्षेत्र में किस तरह का उम्मीदवार उतारना फायदेमंद होगा।
इसके अलावा, यह भी माना जा रहा है कि पार्टी कुछ नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतार सकती है ताकि मतदाताओं में उत्साह बना रहे और एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर को कम किया जा सके।
चिराग पासवान की मांगें बनी चुनौती
लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की मांगों ने एनडीए में सिरदर्द बढ़ा दिया है। वे न सिर्फ कुछ जेडीयू सीटों पर दावा ठोक रहे हैं, बल्कि यह भी संकेत दे चुके हैं कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हालांकि अब तक ऐसा कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन जेडीयू इस संभावना को ध्यान में रखते हुए रणनीति बना रही है। पार्टी के भीतर यह राय बन रही है कि चिराग पासवान के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत तो हो, लेकिन जेडीयू अपने मौजूदा गढ़ों से पीछे न हटे।
एनडीए में आत्मविश्वास बरकरार
सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जारी खींचतान के बावजूद एनडीए नेताओं का आत्मविश्वास बरकरार है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि बिहार में जनता का भरोसा नीतीश कुमार पर कायम है। उन्होंने दावा किया कि 14 नवंबर को होने वाले चुनाव के बाद एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी। ललन सिंह ने कहा, बिहार की जनता विकास और स्थिरता चाहती है। पिछले दो दशकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में जो काम किया है, उसी भरोसे पर लोग एनडीए को फिर सत्ता में लाएंगे। नीतीश कुमार की यह बैठक बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। एक ओर जहां सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में अंदरूनी खींचतान जारी है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी रणनीतिक रूप से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इस बीच नीतीश कुमार का लक्ष्य है कि जेडीयू के भीतर एकजुटता बनी रहे और गठबंधन में पार्टी की स्थिति मजबूत बनी रहे। बैठक के नतीजे आगामी चुनावी समीकरणों पर बड़ा असर डाल सकते हैं, क्योंकि यहीं से तय होगा कि बिहार में एनडीए किस रणनीति के साथ मैदान में उतरेगा और किस हद तक नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता गठबंधन को एकजुट रख पाती है।


