October 29, 2025

सीजेआई बीआर गवई पर वकील ने फेंका जूता, कहा- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान, हुआ गिरफ्तार

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत में सोमवार को उस समय अफरातफरी मच गई जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई की ओर एक वकील ने जूता फेंक दिया। यह अप्रत्याशित घटना सुप्रीम कोर्ट के परिसर में सुनवाई के दौरान हुई। आरोपी की पहचान 60 वर्षीय वकील राकेश किशोर के रूप में की गई है, जिसे पुलिस ने तत्काल हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुनवाई के दौरान हुआ हमला
जानकारी के अनुसार, घटना उस वक्त हुई जब मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। अदालत में उपस्थित लोगों ने बताया कि अचानक एक व्यक्ति उठा और जोर से चिल्लाने लगा, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान।” यह नारा लगाते हुए उसने बेंच की दिशा में जूता उछाल दिया। हालांकि, जूता बेंच तक पहुंचने से पहले ही गिर गया और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल हरकत में आकर आरोपी राकेश किशोर को काबू में कर लिया। अदालत कक्ष के भीतर मौजूद लोग इस अचानक घटी घटना से हैरान रह गए। कुछ पल के लिए वहां अफरातफरी का माहौल बन गया।
आरोपी वकील और उसकी पृष्ठभूमि
60 वर्षीय राकेश किशोर दिल्ली में अधिवक्ता के रूप में काम करता था। उसके पास से एक वैध एंट्री कार्ड बरामद किया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट आने-जाने वाले वकीलों और क्लर्कों को जारी किया जाता है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि वह अदालत में प्रवेश कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कर पाया था। पुलिस अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि उसने यह कदम अचानक गुस्से में उठाया या इसके पीछे किसी प्रकार की साजिश या पूर्व नियोजित योजना थी। नई दिल्ली जिले के डीसीपी और सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले अधिकारियों ने घटनास्थल का जायजा लिया। राकेश किशोर से पूछताछ चल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर उसने ऐसी कार्रवाई क्यों की।
मुख्य न्यायाधीश की शांत प्रतिक्रिया
इस पूरी घटना के बावजूद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अद्भुत संयम और धैर्य का परिचय दिया। उन्होंने हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ऐसी चीज़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता। सीजेआई ने कहा, “मैं शायद ऐसा आखिरी व्यक्ति हूं, जिसे इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने घटना से खुद को अप्रभावित रखा और बिना किसी रुकावट के केस की सुनवाई जारी रखी। अदालत कक्ष में मौजूद अन्य वकीलों और कर्मचारियों ने भी उनके इस शांत रवैये की सराहना की।
अदालत में मौजूद लोगों की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान मौजूद अधिवक्ताओं और मीडिया कर्मियों के अनुसार, यह घटना कुछ सेकंडों में घटित हो गई। आरोपी पहले से ही अदालत में मौजूद था और सुनवाई के बीच में अचानक नारेबाजी शुरू कर दी। उसके बोलने का अंदाज काफी जोशीला था, पर किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह हिंसात्मक कदम उठा लेगा। कुछ वकीलों ने बताया कि आरोपी पिछले कुछ दिनों से धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर काफी आक्रोशित दिखाई दे रहा था।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट को देश का सबसे सुरक्षित न्यायिक परिसर माना जाता है, जहां प्रवेश और सुरक्षा के कड़े नियम हैं। इसके बावजूद अदालत कक्ष में एक व्यक्ति द्वारा मुख्य न्यायाधीश की ओर वस्तु फेंक दिया जाना सुरक्षा प्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। ऐसे में यह जांच का विषय बन गया है कि सुरक्षा जांच में चूक कहां हुई और क्यों आरोपी को अंदर तक प्रवेश मिल गया। सुरक्षा एजेंसियों ने घटना के बाद संपूर्ण समीक्षा शुरू कर दी है। अदालत परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
धार्मिक नारेबाजी और उसका अर्थ
हमलावर द्वारा लगाए गए नारे “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान” ने इस घटना को एक धार्मिक रंग दे दिया। इस नारे से यह संकेत मिलता है कि आरोपी किसी धार्मिक या वैचारिक मुद्दे पर न्यायालय से असंतुष्ट था। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वह किस मामले को लेकर आक्रोश में था। पुलिस अब उन मामलों की भी जांच कर रही है, जिनमें हाल ही में सनातन धर्म या धार्मिक भावनाओं से जुड़ी बहसें सुप्रीम कोर्ट या अन्य अदालतों में चली हैं।
कानून व्यवस्था और संभावित परिणाम
कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, आरोपी पर न्यायिक परिसर में अशांति फैलाने, अदालत की अवमानना और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के तहत गंभीर धाराओं में कार्रवाई हो सकती है। अगर जांच में यह साबित होता है कि उसने जानबूझकर हमला करने की मंशा रखी थी, तो इस पर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल आरोपी पुलिस हिरासत में है और उसके मोबाइल फोन, पहचान पत्र तथा अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं। पुलिस अधिकारी जल्द रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपेंगे। सुप्रीम कोर्ट जैसी प्रतिष्ठित संस्था में यह घटना अकल्पनीय है और न्यायिक गरिमा पर धब्बा लगाती है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की शांत और पेशेवर प्रतिक्रिया ने यह संदेश दिया कि न्यायपालिका किसी भी प्रकार के दबाव या उकसावे से प्रभावित नहीं होती। यह मामला न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी है बल्कि समाज के लिए भी एक सीख है कि असहमति या विरोध का मार्ग हमेशा संवैधानिक और अहिंसक होना चाहिए।

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