October 29, 2025

राज्य के 25 लाख महिलाओं के बैंक खातों में भेजी गई 10 हजार की राशि, सीएम नीतीश ने डीबीटी से किया ट्रांसफर

पटना। बिहार सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य है कि महिलाएं केवल घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित न रहें बल्कि अपने पैरों पर खड़ी होकर छोटे व्यवसाय, स्वरोजगार और अन्य आर्थिक गतिविधियों से जुड़ सकें। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना के अंतर्गत 25 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10-10 हजार की पहली किस्त सीधे भेजी।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
इस योजना की शुरुआत 26 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से की थी। उस अवसर पर प्रधानमंत्री ने 75 लाख महिलाओं के खातों में राशि ट्रांसफर की थी और यह बात कही थी कि जन-धन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों के कारण ही इतने बड़े स्तर पर महिलाओं तक सीधी राशि पहुंचाई जा रही है। उनका कहना था कि पहले योजनाओं की रकम बीच में ही बिचौलियों द्वारा हड़प ली जाती थी, लेकिन अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण व्यवस्था से हर पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जमा हो रहा है। राज्य सरकार ने इस योजना को जारी रखते हुए महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। महिलाएं अब इस राशि का उपयोग छोटे व्यापार, स्वरोजगार और आजीविका संबंधी गतिविधियों में कर सकेंगी। सरकार का मकसद है कि महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक न रुकें, बल्कि वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनें और समाज में अपनी मजबूत भूमिका निभा सकें।
राशि वितरण की प्रक्रिया
3 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर 25 लाख महिलाओं को राशि ट्रांसफर की। इस मौके पर दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा सहित कई मंत्री भी मौजूद रहे। कार्यक्रम को प्रतीकात्मक रूप से इस तरह प्रस्तुत किया गया कि महिलाएं राज्य की आर्थिक व्यवस्था की अहम धुरी बन रही हैं। अक्टूबर से दिसंबर 2025 तक हर शुक्रवार को यह राशि किस्तों में ट्रांसफर की जाएगी। इसके लिए कुल 14 तिथियां निर्धारित की गई हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि आवश्यकता होने पर तिथियों में बदलाव संभव है, लेकिन महिलाओं को दी जाने वाली राशि निरंतर मिलेगी।
आवेदन और पात्रता
महिलाओं को इस योजना का लाभ लेने के लिए जीविका स्वयं सहायता समूह या ग्राम संगठन के माध्यम से आवेदन करना होगा। जो महिलाएं किसी संगठित समूह से जुड़ी नहीं हैं, वे भी निर्धारित तिथियों पर सीधे आवेदन जमा कर सकती हैं। सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखा है और राशि केवल डीबीटी के माध्यम से सीधे बैंक खाते में भेजी जा रही है। इस तरह बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहेगी।
योजना का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
इस योजना का सीधा लाभ बड़ी संख्या में महिलाओं को मिलेगा। 2020 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में महिला मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 3.39 करोड़ है। इनमें से करीब 22 फीसदी महिलाएं इस योजना की पात्र हैं और उन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा। यह योजना न सिर्फ उन्हें वित्तीय सहायता देगी, बल्कि उनका आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ाएगी। जिन महिलाओं को पहले व्यापार या स्वरोजगार की दिशा में कदम रखने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, उन्हें अब शुरुआती पूंजी उपलब्ध होगी। कई महिलाएं इस राशि से दुकान, सिलाई-कढ़ाई, डेयरी या अन्य छोटे स्तर के व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे समाज में अधिक सम्मान और पहचान पा सकेंगी।
राजनीतिक महत्व और भविष्य की संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके ज़रिए महिला वोट बैंक को भी साधने की रणनीति है। बिहार में महिला मतदाता लगातार सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और कई चुनावों में उनकी भागीदारी निर्णायक रही है। सरकार जानती है कि यदि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और उन्हें प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा तो वे राजनीतिक रूप से भी जागरूक होंगी और सरकार के प्रति सकारात्मक रुख रख सकती हैं। भविष्य में यदि यह योजना स्थायी रूप से चलती रही और महिलाओं को इससे दीर्घकालिक लाभ मिला तो बिहार की सामाजिक संरचना में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। महिलाएं न केवल घर और परिवार में बल्कि रोजगार, शिक्षा और निर्णय लेने के क्षेत्र में भी अग्रणी होंगी। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना बिहार की महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल लाखों परिवारों को आर्थिक सहारा मिलेगा बल्कि महिलाओं में आत्मनिर्भरता की भावना भी पैदा होगी। डीबीटी प्रणाली की वजह से पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है और अब हर महिला को बिना बाधा के उसका हक़ सीधे मिल रहा है। यह योजना आने वाले वर्षों में बिहार के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखती है।

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