गया में पुलिस टीम पर शराब तस्करों का हमला, भीड़ ने चलाएं ईंट-पत्थर, गाड़ियों का टूटा शीशा
गया। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। इसी के चलते पुलिस लगातार छापेमारी करती रहती है। लेकिन इन छापेमारियों के दौरान कई बार पुलिस पर ही हमला कर दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला गया जिले के शेरघाटी थाना क्षेत्र से सामने आया, जहां पुलिस टीम पर शराब तस्करों और उनके समर्थकों ने ईंट-पत्थर से हमला कर दिया। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पुलिसकर्मी भी बिहार में कितने सुरक्षित हैं।
छापेमारी के दौरान मचा हंगामा
यह पूरी घटना शेरघाटी थाना क्षेत्र के बसंतबाग इलाके की है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि रिंग रोड स्थित एक दुकान पर चाय-सिगरेट और गुटखा बेचने की आड़ में अवैध शराब और गांजे की बिक्री की जा रही है। जानकारी यह भी मिली कि दुकान के पीछे शराब का स्टॉक छिपाकर रखा गया है। इसी सूचना पर थानेदार अजीत कुमार के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने छापेमारी की। जैसे ही पुलिस ने वहां से कुछ लोगों को पकड़ लिया, मौके पर मौजूद तस्करों और उनके समर्थकों ने विरोध करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते भीड़ ने पुलिस पर ईंट-पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। इस हमले में पुलिस की गाड़ी का शीशा टूट गया और थानेदार सहित अन्य अधिकारी बाल-बाल बच गए।
बड़ी मात्रा में शराब और चोरी की बाइक बरामद
पुलिस ने छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद की। इसके अलावा तीन मोटरसाइकिलें भी पुलिस के कब्जे में आईं। जांच में पाया गया कि इनमें से एक मोटरसाइकिल 7 अप्रैल 2023 को विष्णुपद थाना क्षेत्र से चोरी हुई थी। यह बरामदगी इस बात का सबूत है कि शराब कारोबारियों का नेटवर्क न केवल अवैध शराब की बिक्री से जुड़ा है, बल्कि चोरी जैसे अपराधों से भी संबंध रखता है।
गिरफ्तारियां और मुख्य आरोपी फरार
इस हमले और छापेमारी के बाद पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें विपिन कुमार, धोनी कुमार, परमजीत प्रकाश, पूजा सिंह और गुड़िया कुमारी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि यह अवैध शराब का अड्डा मनीष मालाकार नामक शख्स का है, जो पहले भी शराब तस्करी के मामले में जेल जा चुका है। जब पुलिस ने उसके नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू किया तो मनीष के समर्थकों ने गिरफ्त में आए लोगों को छुड़ाने के लिए हमला कर दिया। घटना के बाद मनीष मौके से फरार हो गया और फिलहाल पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है।
पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती और कार्रवाई
हमले की सूचना मिलते ही अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रण में किया। इसके बाद इलाके में तनाव को देखते हुए पुलिस ने कई जगहों पर गश्त भी बढ़ा दी। घटना में शामिल 15 नामजद और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। छापेमारी में सब इंस्पेक्टर अरविंद यादव, मो. इम्तियाज और शिवशंकर साह भी शामिल थे, जिन्होंने पूरी कार्रवाई में सक्रिय भूमिका निभाई।
शराबबंदी और लगातार बढ़ती चुनौतियां
बिहार में वर्ष 2016 से शराबबंदी लागू है। सरकार ने इसे एक सामाजिक सुधार के रूप में पेश किया था। लेकिन सख्त कानूनों के बावजूद शराब तस्करी और इसके नेटवर्क लगातार सक्रिय हैं। पुलिस हर स्तर पर छापेमारी कर रही है, मगर तस्करों के बढ़ते हमले यह दिखाते हैं कि कानून-व्यवस्था को चुनौती देने की हिम्मत इन अपराधियों में कम नहीं है। पुलिस पर हमले की घटनाएं न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि शराब तस्करों का नेटवर्क कितना मजबूत है और उसके पीछे कितने लोगों का समर्थन है। गया की यह घटना साफ तौर पर बताती है कि शराबबंदी कानून लागू करने में पुलिस को किस हद तक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस पर हमला करने वाले तस्कर और उनके समर्थक यह मानकर चल रहे हैं कि भीड़ और हिंसा के बल पर वे कानून को ठेंगा दिखा सकते हैं। लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारियां इस बात का संकेत हैं कि ऐसे अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। यह घटना बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन दोनों के लिए एक बड़ा सबक है कि जब तक शराब तस्करी के पूरे नेटवर्क को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक इस तरह की घटनाएं सामने आती रहेंगी। कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और पुलिस की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाना अब बेहद जरूरी हो गया है।


