पटना में बनेगा राज्य स्तरीय प्रयोगशाला, चावल सहित कई अनाजों के गुणवत्ता की होगी जांच
पटना। बिहार सरकार ने राज्य के आम नागरिकों को मिलने वाले अनाज की गुणवत्ता को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार का मानना है कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों तक पहुंचने वाला राशन न केवल पर्याप्त हो, बल्कि पूरी तरह सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाला भी होना चाहिए। इसी उद्देश्य से राजधानी पटना में एक अत्याधुनिक राज्य स्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी। यह पहल खाद्यान्न की गुणवत्ता पर नियंत्रण के साथ-साथ बिहार को खाद्यान्न प्रबंधन के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी।
अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना
यह प्रयोगशाला नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कॉलिब्रेशन लेबोरेट्रीज के मानकों पर आधारित होगी। इसका मतलब है कि यहां की जांच प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और सटीक होगी। इस लैब में फोर्टिफाइड चावल के साथ-साथ गेहूं, दाल और अन्य खाद्यान्न की भी गुणवत्ता जांच की जाएगी। सरकार का उद्देश्य यह है कि राशनकार्ड धारकों को मिलने वाला हर दाना अनाज सुरक्षित और मानकों के अनुरूप हो।
राशन वितरण में पारदर्शिता
सरकार ने साफ किया है कि इस प्रयोगशाला से जांच पास किए बिना अनाज का वितरण नहीं किया जाएगा। यानी, हर खेप को पहले लैब में परखा जाएगा और फिर ही वह उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा। इस कदम से राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और खाद्यान्न की मिलावट या घटिया गुणवत्ता की शिकायतों पर अंकुश लगेगा।
खाद्यान्न प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान
गुणवत्ता जांच के साथ-साथ सरकार ने खाद्यान्न के भंडारण और प्रबंधन को भी गंभीरता से लिया है। इसके लिए पटना के आर ब्लॉक स्थित बहुउद्देशीय भवन में बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ ग्रेन स्टोरेज मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग की स्थापना की जाएगी। इस संस्थान में अनाज के भंडारण से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात की जानकारी देगा कि किस तरह अनाज को सुरक्षित रखा जाए ताकि नमी, कीड़े या अन्य कारणों से उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हो।
रोजगार और पदों की नियुक्ति
नई प्रयोगशाला और संस्थान को संचालन योग्य बनाने के लिए सरकार द्वारा लैब टेक्नीशियन, कार्यपालक सहायक और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही बिहार खाद्यान्न भंडारण प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक को परिषद का सदस्य सचिव बनाया गया है। इस संस्थान में निदेशक सहित कुल 19 पदाधिकारी कार्यरत होंगे। इससे न केवल बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य में खाद्यान्न प्रबंधन की विशेषज्ञता भी विकसित होगी।
खाद्यान्न की सुरक्षा और उपभोक्ता हित
सरकार का मानना है कि यह पहल उपभोक्ताओं के हित में एक बड़ा कदम है। अक्सर राशन की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं और कई बार गरीब परिवारों को घटिया गुणवत्ता का अनाज मिल जाता है। नई प्रयोगशाला की स्थापना से इस समस्या का स्थायी समाधान निकल सकेगा। हर उपभोक्ता यह भरोसा कर पाएगा कि उसे मिलने वाला अनाज सुरक्षित है और उसकी सेहत के लिए किसी भी तरह का खतरा नहीं है।
बिहार की नई पहचान
खाद्यान्न प्रबंधन के क्षेत्र में इस तरह की पहल बिहार को अन्य राज्यों से अलग पहचान दिला सकती है। जहां अभी भी कई राज्यों में खाद्यान्न की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आती रहती हैं, वहीं बिहार सरकार का यह कदम उदाहरण बन सकता है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाने की दिशा में प्रेरित होंगे। पटना में बनने वाली यह राज्य स्तरीय प्रयोगशाला और खाद्यान्न प्रबंधन संस्थान बिहार की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। यह न केवल राशन वितरण की गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे बल्कि उपभोक्ताओं का भरोसा भी मजबूत करेंगे। सरकार का यह कदम गरीबों और जरूरतमंदों तक सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न पहुंचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही, अनाज प्रबंधन की नई तकनीक और प्रशिक्षण से बिहार भविष्य में खाद्यान्न सुरक्षा के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।


