गोपालगंज में पुलिस अधिकारी के नाम पर साइबर ठगी, फर्जी कॉल से कई लोगों को बनाया शिकार, मामला दर्ज
गोपालगंज। बिहार में साइबर अपराधों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। ताज़ा मामला गोपालगंज जिले का है, जहाँ कुछ ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर आम लोगों से पैसों की मांग की। ठगों ने लोगों को डराने और भ्रमित करने के लिए पुलिस की पहचान का सहारा लिया और कई लोगों को अपने जाल में फँसाने की कोशिश की। यह मामला सामने आने के बाद पूरे क्षेत्र में चिंता का माहौल है और पुलिस ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाना
जानकारी के अनुसार, साइबर अपराधियों ने कई लोगों को फोन कॉल किया और खुद को थावे थाना का दारोगा बताने लगे। कॉल करने वाला व्यक्ति कहता था कि पीड़ित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद वह चेतावनी देता था कि यदि मामला निपटाना है तो तुरंत पैसे देने होंगे। इस तरह फोन कॉल के ज़रिए लोगों में डर पैदा किया गया ताकि वे बिना जांच-पड़ताल किए पैसे दे दें।
एफआईआर की फर्जी कॉपी का इस्तेमाल
ठगों की सबसे बड़ी चालाकी यह रही कि उन्होंने ऑनलाइन एफआईआर कॉपी डाउनलोड करके उसका इस्तेमाल किया। वे पीड़ित को व्हाट्सएप पर एफआईआर की पीडीएफ या स्क्रीनशॉट भेज देते थे, जिससे मामला असली लगता था। जब किसी व्यक्ति को यह दस्तावेज़ मिलता, तो उसे शक नहीं होता और वह ठगों की बातों पर भरोसा करने लगता। यह साइबर अपराधियों की एक नई तरकीब है जिसमें असली जैसे दस्तावेज़ों का सहारा लिया जा रहा है।
ऑडियो क्लिप से खुली पोल
इस पूरे मामले का भांडाफोड़ तब हुआ जब एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस ऑडियो में एक व्यक्ति खुद को थावे थाना का दारोगा बताकर किसी से बातचीत करता सुनाई दे रहा था। जब थावे थाना के अधिकारियों ने इसकी जांच की, तो साफ हो गया कि कॉल फर्जी था और इसके पीछे ठगी की योजना थी। इसी आधार पर पुलिस ने पूरे मामले की सच्चाई जनता के सामने रखी।
पुलिस की अपील और चेतावनी
गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक ने इस मामले पर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी और जनता से सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने साफ कहा कि कोई भी असली पुलिस अधिकारी कभी फोन पर पैसों की मांग नहीं करता। यदि किसी को इस प्रकार का कॉल मिले तो तुरंत निकटतम थाना या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने लोगों को यह भी समझाया कि किसी भी अज्ञात नंबर से आने वाले धमकी भरे कॉल पर तुरंत विश्वास न करें।
ऑनलाइन दस्तावेज़ों से सावधानी
इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख यह भी मिलती है कि ऑनलाइन भेजे जाने वाले किसी भी कानूनी दस्तावेज़, जैसे एफआईआर या कोर्ट पेपर, पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए। अक्सर ठग असली जैसे दिखने वाले दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके लोगों को गुमराह करते हैं। इसलिए जब भी इस तरह का कोई मैसेज या व्हाट्सएप पर दस्तावेज़ आए, तो उसकी सत्यता की जांच जरूर करनी चाहिए।
साइबर अपराध का बदलता स्वरूप
बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में साइबर अपराध तेजी से नए-नए रूप ले रहा है। पहले जहाँ ऑनलाइन ठगी ज्यादातर बैंकिंग या लॉटरी के नाम पर होती थी, वहीं अब अपराधी पुलिस, अधिकारी या सरकारी विभाग का नाम लेकर भी लोगों को फँसाने लगे हैं। यह तरीका इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि आम लोग कानून और पुलिस का नाम सुनकर डर जाते हैं और बिना सोचे-समझे ठगों की बात मान लेते हैं।
आम जनता की जिम्मेदारी
इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जनता को सतर्क और जागरूक रहना होगा। यदि किसी को इस प्रकार का कॉल आता है, तो सबसे पहले उसकी जांच करनी चाहिए। संबंधित थाना या जिले की पुलिस हेल्पलाइन से संपर्क करना सबसे सुरक्षित उपाय है। इसके अलावा, साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी तुरंत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस की ओर से लगातार यह कहा जा रहा है कि लोग डरें नहीं, बल्कि तुरंत शिकायत करें ताकि अपराधियों तक पहुँचा जा सके। ऐसे मामलों को दबाने से अपराधियों का हौसला बढ़ता है। इसलिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति जागरूक रहे और समय रहते प्रशासन को जानकारी दे। गोपालगंज में सामने आया यह मामला बताता है कि साइबर अपराधी कितनी चालाकी से नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे पुलिस अधिकारी का भेष धरकर और फर्जी दस्तावेज़ बनाकर लोगों से ठगी करने लगे हैं। ऐसे समय में जनता की सतर्कता और पुलिस की सक्रियता दोनों ही जरूरी हैं। यदि लोग जागरूक रहेंगे और तुरंत शिकायत करेंगे, तो ऐसे अपराधियों पर काबू पाया जा सकता है। यह घटना चेतावनी है कि किसी भी फोन कॉल, ऑनलाइन दस्तावेज़ या धमकी पर आंख मूंदकर विश्वास न करें और हर बार उसकी जांच करें।


