September 6, 2025

नवादा में डायरिया का प्रकोप, अबतक दो की मौत, 64 से अधिक अस्पताल में भर्ती

नवादा। जिले के बुधौल गांव के महादलित टोले में डायरिया का प्रकोप भयावह रूप लेता जा रहा है। इस बीमारी ने अब तक दो लोगों की जान ले ली है और 64 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। यह स्थिति पूरे इलाके में दहशत का माहौल बना रही है। बीमारियों के इस अचानक फैलाव ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और सिस्टम की कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
अस्पतालों में अफरातफरी
सदर अस्पताल में डायरिया पीड़ितों की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई है कि बेड की भारी कमी महसूस की जा रही है। मजबूरी में एक बेड पर दो से तीन मरीजों को रखा जा रहा है। मरीज बिना चादर और गद्दों पर इलाज के लिए तड़प रहे हैं। यह नजारा न केवल प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़ा करता है बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की खस्ता हालत को भी उजागर करता है। सर्जिकल वार्ड में 34, इमरजेंसी वार्ड में 12 और ओपीडी वार्ड में 18 मरीज भर्ती हैं।
हर घर से अस्पताल की ओर दौड़
गांव में डायरिया का प्रकोप इस कदर फैल चुका है कि हर घर से लोग अस्पताल की ओर भाग रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने गांव में कैंप लगाए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। लगातार बढ़ते मरीजों के सामने स्वास्थ्यकर्मी भी असहाय महसूस कर रहे हैं।
सिस्टम की नाकामी
अस्पताल प्रबंधक कुमार आदित्य ने खुद स्वीकार किया है कि बेड की कमी के कारण एक बेड पर कई मरीजों को रखा जा रहा है। हालांकि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी इलाज की पूरी कोशिश कर रहे हैं, फिर भी संसाधनों की कमी हालात को और बिगाड़ रही है। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की नाकामी और तैयारी की कमी की ओर इशारा करती है।
बीमारी फैलने के कारण
डायरिया जैसी बीमारियां मुख्य रूप से गंदे पानी और अस्वच्छ माहौल की वजह से फैलती हैं। बुधौल गांव के महादलित टोले में स्वच्छता की स्थिति पहले से ही खराब रही है। जलजमाव और गंदगी की वजह से संक्रमण तेजी से फैला। पीने का पानी भी दूषित हो जाने के कारण बीमारी ने भयावह रूप ले लिया।
प्रशासन की पहल
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने नियंत्रण के लिए कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। पूरे मोहल्ले में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके। इसके अलावा स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने और जलजमाव को दूर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
जनता में दहशत और आक्रोश
इस प्रकोप के चलते ग्रामीणों में भारी दहशत है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम उठाए गए होते तो यह स्थिति न आती। कई लोगों का गुस्सा भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर है, क्योंकि बीमार पड़ने के बाद ही कार्रवाई तेज की गई। गांव वालों का मानना है कि लंबे समय से स्वच्छता और पानी की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया।
क्या जरूरी है
इस संकट से निपटने के लिए तत्काल स्वच्छ पानी की व्यवस्था करनी होगी। गांवों और टोले में सैनिटेशन पर विशेष ध्यान देना होगा। अस्पतालों में अतिरिक्त बेड और संसाधन उपलब्ध कराने होंगे ताकि बढ़ते मरीजों का इलाज सही ढंग से हो सके। इसके अलावा ग्रामीणों को जागरूक करना भी आवश्यक है कि वे उबला हुआ या स्वच्छ पानी ही पिएं और साफ-सफाई पर ध्यान दें। नवादा का यह प्रकरण स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को सामने लाता है। जहां एक ओर बीमारी ने लोगों की जान ले ली, वहीं दूसरी ओर अव्यवस्था और संसाधनों की कमी ने पीड़ा को और गहरा कर दिया। हालांकि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अब सक्रिय हो गए हैं, लेकिन लंबे समय तक स्थायी समाधान के लिए स्वच्छता, स्वच्छ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करना ही एकमात्र रास्ता है। यदि समय रहते ये कदम उठाए जाते हैं, तो भविष्य में ऐसे भयावह हालात से बचा जा सकता है।

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