बिहार में निवास प्रमाण पत्र को लेकर हाहाकार: सर्वर डाउन से एक करोड़ लोग प्रभावित, वोटर लिस्ट से नाम कटने का खतरा

पटना। बिहार में निवास प्रमाण पत्र बनवाना इन दिनों आम लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है। सरकारी पोर्टल का सर्वर लगातार डाउन रहने के कारण आवेदक घंटों सरकारी दफ्तरों और जनसेवा केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं। हालात यह हैं कि एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित बताए जा रहे हैं। सबसे गंभीर चिंता यह है कि निवास प्रमाण पत्र न बनने की वजह से बड़ी संख्या में मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कट सकता है।
वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अनिवार्य है निवास
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार, मतदाता सूची (एसआईआर- स्पेशल समरी रिवीजन) में नाम जोड़ने या संशोधित करने के लिए निवास प्रमाण पत्र अनिवार्य दस्तावेज है। बीएलओ से संपर्क करने वाले कई लोगों को यह साफ तौर पर बताया गया है कि आवासीय प्रमाण पत्र न होने पर नाम नहीं जोड़ा जाएगा। ऐसे में हजारों-लाखों लोग चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं।
आवेदन का बोझ, सर्वर बार-बार ठप
प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के आंकड़े बताते हैं कि इस बार निवास प्रमाण पत्र के आवेदनों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। अगस्त 2025 में 52 लाख 97 हजार 99 आवेदन आए, जबकि जुलाई में यह संख्या 56 लाख 13 हजार 633 थी। यानी दो महीने में कुल एक करोड़ 9 लाख से अधिक आवेदन आए हैं। तुलना करें तो अगस्त 2024 में महज 12 लाख 87 हजार आवेदन आए थे। इस साल का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में करीब पांच गुना ज्यादा है। इतनी अधिक संख्या में आवेदन आने से सिस्टम पर दबाव बढ़ गया है। पोर्टल बार-बार ठप हो रहा है और लोग दिनभर ऑनलाइन आवेदन सब्मिट करने की कोशिश में भटकते रहते हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक प्रखंड कार्यालयों और जनसेवा केंद्रों पर लंबी कतारें लगी रहती हैं।
लोगों की परेशानियां और नाराजगी
गांव से लेकर शहर तक लोग निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए परेशान हैं। कई लोग लगातार तीन-तीन दिन से प्रखंड कार्यालय में डेरा डाले हुए हैं, फिर भी उनका आवेदन सब्मिट नहीं हो पा रहा। लोगों का कहना है कि सरकार ऑनलाइन आवेदन की बात करती है, लेकिन पोर्टल चलने की स्थिति में ही आवेदन पूरा होगा। एक आवेदक ने बताया कि “सुबह 10 बजे से लाइन में लगते हैं, शाम तक इंतजार करते हैं, लेकिन सर्वर डाउन होने से काम नहीं हो पाता। समय और पैसे दोनों की बर्बादी हो रही है।” वहीं कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि अगर पैसा दिया जाए तो निवास जल्दी बन जाता है, वरना महीनों इंतजार करना पड़ता है।
विपक्ष का मुद्दा और जागरूकता
एसआईआर की प्रक्रिया और चुनाव आयोग के जागरूकता अभियान से निवास प्रमाण पत्र की मांग अचानक बढ़ गई है। विपक्ष भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार की तकनीकी और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से लाखों लोग अपने मताधिकार से वंचित होने के कगार पर हैं।
बढ़ता आवेदन, घटती सुविधा
पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2024 में केवल 16 लाख 88 हजार 758 आवेदन आए थे, जबकि इस साल जुलाई में यह संख्या 56 लाख से अधिक हो गई। यानी महज एक साल में तीन से साढ़े तीन गुना वृद्धि हुई है। लेकिन सुविधाएं और सर्वर क्षमता उसी अनुपात में नहीं बढ़ाई गईं। नतीजा यह है कि आम लोगों को आज भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में निवास प्रमाण पत्र की समस्या अब प्रशासनिक संकट का रूप ले चुकी है। सर्वर डाउन, लंबी कतारें और भ्रष्टाचार के आरोपों ने आम जनता की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं और उनमें से बड़ी संख्या में वे लोग हैं, जिन्हें वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना या सुधार करवाना है। यदि समय रहते समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो न केवल लोग सरकारी योजनाओं से वंचित होंगे, बल्कि चुनाव में उनके मताधिकार पर भी खतरा मंडरा सकता है।
