स्वच्छ सर्वेक्षण का डाटा जारी: आठवीं बार लगातार सबसे स्वच्छ शहर बना इंदौर, पटना का तीन स्टार रेटिंग में चयन

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 के परिणाम गुरुवार को घोषित किए गए। इसमें इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब हासिल किया। इस उपलब्धि के साथ इंदौर ने स्वच्छ भारत अभियान में अपनी निर्विवाद भूमिका को फिर से साबित कर दिया है। इंदौर के बाद गुजरात का सूरत शहर दूसरे स्थान पर रहा।
पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन
इस बार का पुरस्कार वितरण समारोह नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। यह कार्यक्रम देशभर के शहरों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना, जहां स्वच्छता को लेकर की गई मेहनत को सराहा गया।
पटना की उपलब्धि, तीन स्टार रेटिंग और मिनिस्ट्रियल अवार्ड
बिहार की राजधानी पटना के लिए भी यह वर्ष सकारात्मक रहा। इस बार पटना को तीन स्टार रेटिंग प्रदान की गई है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में बड़ी उपलब्धि है। वर्ष 2023 में पटना ने इसी श्रेणी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे केवल एक स्टार ही मिला था। इस वर्ष तीन स्टार मिलने से केंद्र सरकार से मिलने वाली विकास निधि में वृद्धि होगी और सफाई से जुड़े प्रोजेक्ट्स को और गति मिलेगी। इसके अलावा पटना को स्टेट लेवल के मिनिस्ट्रियल अवार्ड के लिए भी चुना गया है, जो कि शहर की निरंतर सफाई प्रयासों को दर्शाता है। इस बार पानी की गुणवत्ता में भी बेहतर प्रदर्शन किया गया है, जिससे साफ पानी की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रगति हुई है।
पटना में किए गए नवाचार और सुधार कार्य
नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने बताया कि स्वच्छता सुधार की दिशा में कई नए कदम उठाए गए हैं। शहर के करीब 650 कूड़ा बिंदुओं को पूरी तरह से साफ कर स्वच्छ स्थल में तब्दील किया गया। इसके अलावा शौचालयों की मरम्मत, ड्रेनेज सिस्टम और मैनहोल सुधार जैसे कार्य प्राथमिकता के साथ किए गए। शहर के सभी 75 वार्डों के सफाई निरीक्षकों को वॉकी-टॉकी से जोड़ा गया है ताकि जलजमाव की स्थिति और ड्रेनेज पंपिंग स्टेशनों की रियल टाइम जानकारी उपलब्ध हो सके। यह तकनीकी पहल नगर प्रशासन की सजगता और तत्परता का प्रमाण है।
स्वच्छ सर्वेक्षण का उद्देश्य और महत्व
स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने और शहरों को साफ-सुथरा बनाने के लिए की गई थी। नौवें वर्ष में प्रवेश कर चुका यह सर्वेक्षण अब देश के 4,500 से अधिक शहरों को कवर करता है। इस बार सर्वेक्षण में 10 प्रमुख मापदंडों और 54 संकेतकों के आधार पर आकलन किया गया, जिसमें अपशिष्ट प्रबंधन, नागरिक प्रतिक्रिया, सेवा वितरण और नवाचार को प्रमुखता दी गई। स्वच्छता सर्वेक्षण केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक सामूहिक प्रयास है। इंदौर की लगातार सफलता यह दिखाती है कि निरंतर प्रयास, जनभागीदारी और प्रशासनिक इच्छाशक्ति से कोई भी शहर स्वच्छता में मिसाल बन सकता है। वहीं, पटना जैसे शहरों की प्रगति यह दर्शाती है कि अगर सही दिशा में काम किया जाए तो बदलाव संभव है। आने वाले वर्षों में और अधिक शहरों के स्वच्छता की दौड़ में अग्रसर होने की उम्मीद है।

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