गोवा में खूंखार कुत्ते पालने पर होगी जेल, विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी, सदन में जल्द होगा पेश

पणजी। गोवा सरकार ने राज्य में पालतू जानवरों से जुड़ी बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए एक अहम कदम उठाया है। अब राज्य में पिटबुल और रॉटवीलर जैसी आक्रामक नस्लों के कुत्तों को पालना, उनका प्रजनन करना या खरीद-बिक्री करना गैरकानूनी माना जाएगा। इसके लिए सरकार ने एक विशेष विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा।
क्यों उठाया गया यह कदम
हाल के वर्षों में गोवा सहित देश के अन्य राज्यों में पालतू कुत्तों द्वारा लोगों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में आक्रामक नस्लों जैसे पिटबुल और रॉटवीलर शामिल रहे हैं। फरवरी 2024 में गोवा में ऐसे ही कई हमलों के बाद जनता में आक्रोश बढ़ गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इन नस्लों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिसे अब विधेयक का रूप दे दिया गया है।
किन कुत्तों पर लगेगा प्रतिबंध
प्रस्तावित कानून के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किन्हीं नस्लों को खतरनाक घोषित कर सकती है। इसके लिए जनता को 15 दिनों का नोटिस जारी किया जाएगा और उनसे सुझाव मांगे जाएंगे। इसके बाद अंतिम सूची बनाई जाएगी जिसमें वे नस्लें शामिल होंगी जिन्हें राज्य में प्रतिबंधित किया जाएगा। अभी तक पिटबुल और रॉटवीलर दो प्रमुख नस्लें हैं, जिन पर प्रतिबंध तय माना जा रहा है।
कानून में क्या-क्या प्रावधान होंगे
इस कानून में कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति प्रतिबंधित कुत्ते को रखता है, उसका प्रजनन करता है या उसकी बिक्री/खरीद करता है तो उसे तीन महीने तक की जेल, 50 हजार रुपये तक का जुर्माना और अनिवार्य सामुदायिक सेवा करनी पड़ सकती है। इसके अलावा यदि किसी के पास पहले से ऐसा कुत्ता है, तो उसे 30 दिनों के भीतर अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी होगी और 60 दिनों के भीतर जानवर की नसबंदी करवानी होगी। नसबंदी के बाद संबंधित विभाग की ओर से प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा।
कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई
अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है या जानबूझकर जानकारी छुपाता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर निरीक्षण और निगरानी की जाएगी। अधिकारियों को यह अधिकार भी होगा कि वे बिना पूर्व सूचना के ऐसे घरों या संस्थानों की जांच कर सकें जहां इन कुत्तों के होने का संदेह हो।
जनता की भूमिका भी अहम
यह कानून केवल सरकार की तरफ से एक प्रतिबंधात्मक पहल नहीं है, बल्कि इसमें जनता की भागीदारी भी आवश्यक है। प्रतिबंधित नस्लों की सूची तैयार करने से पहले आम नागरिकों से सुझाव और आपत्तियां मांगी जाएंगी ताकि निर्णय पारदर्शी और व्यावहारिक हो। इसके अलावा, कानून के क्रियान्वयन में नागरिकों की सतर्कता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। गोवा सरकार का यह कदम राज्य में पालतू जानवरों से जुड़े हादसों को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह न सिर्फ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि कुत्तों की जिम्मेदार पालकी की भी शुरुआत करेगा। अगर इस कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया गया तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। सरकार, प्रशासन और जनता मिलकर इस कानून को सफल बना सकते हैं ताकि इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन बना रहे और दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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