मणिपुर में तीन उग्रवादियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, हथियार बरामद, इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी

काकचिंग। मणिपुर में सुरक्षा बलों द्वारा उग्रवादी संगठनों के खिलाफ चलाए जा रहे तलाशी अभियानों में लगातार सफलता मिल रही है। राज्य के तीन अलग-अलग जिलों से हाल ही में तीन उग्रवादियों की गिरफ्तारी की गई है। पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा की गई इस कार्रवाई से राज्य में सक्रिय उग्रवादी नेटवर्क को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यह घटनाक्रम राज्य में शांति बहाल करने के प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
काकचिंग से एक सक्रिय उग्रवादी की गिरफ्तारी
काकचिंग जिले के उमाथेल बाजार क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने एक गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की। इस दौरान प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन कांगलीपाक यावोल कन्ना लूप के एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया गया। यह संगठन पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय अलगाववादी संगठनों में से एक है, जिसकी गतिविधियां लंबे समय से राज्य के लिए चुनौती बनी हुई हैं। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है, जिससे संगठन के अन्य नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
इंफाल पश्चिम में दूसरा सदस्य पकड़ा गया
इसके पहले बुधवार को इंफाल पश्चिम जिले के मयांग इंफाल थाना क्षेत्र के ममांग लेइकाई से इसी संगठन के एक अन्य सदस्य को पकड़ा गया। पुलिस के अनुसार, इस व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आरोप हैं जिनमें जबरन वसूली, अपहरण और नए कैडरों की भर्ती शामिल हैं। यह व्यक्ति थौबल, काकचिंग और इंफाल पश्चिम जिलों में संगठन की गतिविधियों का संचालन करता था। उसके पास से 9 एमएम की एक पिस्तौल और गोला-बारूद भी जब्त किया गया है, जो उसके आपराधिक मंसूबों की पुष्टि करता है।
बिष्णुपुर से पीआरईपीएके का सदस्य गिरफ्तार
इसके अतिरिक्त गुरुवार को ही बिष्णुपुर जिले के फोगाकचाओ-इखाई अवांग लेइकाई से पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलीपाक के एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया गया। यह संगठन भी राज्य में लंबे समय से उग्रवादी गतिविधियों में लिप्त रहा है। गिरफ्तार व्यक्ति के पास से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और संपर्क सूत्रों की जानकारी मिली है, जिससे संगठन की गतिविधियों पर और प्रहार किया जा सकेगा।
जातीय हिंसा के बाद से बढ़ी सख्ती
मई 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद से राज्य की स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा के कारण राज्य के कई हिस्सों में तनाव बना हुआ है और कई इलाकों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
राष्ट्रपति शासन और राजनीतिक संकट
राज्य में जारी अस्थिरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2024 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया, हालांकि उनका कार्यकाल 2027 तक था। राजनीतिक नेतृत्व के अभाव में अब राज्य की बागडोर सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में है और सभी प्रशासनिक गतिविधियां राज्यपाल और केंद्र द्वारा संचालित की जा रही हैं।
सुरक्षा बलों का बढ़ा हुआ अभियान
राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा लगातार तलाशी और गश्ती अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों का उद्देश्य न सिर्फ उग्रवादियों को पकड़ना है, बल्कि उनके नेटवर्क को तोड़ना और आम जनता में सुरक्षा का विश्वास बहाल करना भी है। बीते कुछ महीनों में सुरक्षाबलों ने कई ऐसे ठिकानों का भंडाफोड़ किया है, जहां उग्रवादी संगठन गतिविधियां संचालित कर रहे थे। मणिपुर में हाल ही में हुई गिरफ्तारियों से स्पष्ट है कि राज्य में उग्रवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। केंद्र और सुरक्षा एजेंसियों का यह संयुक्त प्रयास राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि मणिपुर की स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है, लेकिन इन अभियानों से यह संदेश जरूर गया है कि हिंसा और उग्रवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में ऐसी कार्रवाइयों से मणिपुर में स्थायित्व और सामाजिक सौहार्द की राह खुल सकती है।
