वडोदरा में महिसागर नदी पर बना ब्रिज टूटा, 9 लोगों की मौत, पांच गाड़ियां नदी में गिरी

वडोदरा। गुजरात के वडोदरा जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब महिसागर नदी पर बना एक पुल अचानक टूट गया। हादसे के वक्त पुल से कई गाड़ियां गुजर रही थीं। जैसे ही पुल का एक हिस्सा ढहा, दो ट्रक, दो कार और एक रिक्शा नदी में जा गिरे। एक टैंकर भी पुल के टूटे सिरे पर फंस गया। इस हादसे में 9 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। इसके अलावा 8 लोग घायल हो गए हैं।
स्थानीय लोगों ने चलाया बचाव अभियान
पुल के टूटते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग तुरंत मदद के लिए पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। चश्मदीदों के अनुसार, जब तक प्रशासन की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं, तब तक स्थानीय लोग नदी में उतरकर लोगों को बाहर निकालने में लगे थे। एक युवक ने बताया कि प्रशासन या आपदा राहत विभाग की कोई टीम समय पर नहीं पहुंची। फायर ब्रिगेड की तीन टीमों को बाद में रेस्क्यू के लिए भेजा गया।
घायलों का इलाज जारी
घटना में घायल हुए आठ लोगों में से छह को पादरा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो को गंभीर स्थिति को देखते हुए वडोदरा के सयाजी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। हादसे के बाद बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचे और पीड़ितों की स्थिति की जानकारी ली।
45 साल पुराना पुल, मरम्मत की अनदेखी बनी हादसे की वजह
हादसे को लेकर स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह पुल पिछले कई वर्षों से जर्जर स्थिति में था। कई बार जिला प्रशासन को पुल की मरम्मत की मांग की गई थी, लेकिन कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों के अनुसार, पुल की सतह और रेलिंग पहले से ही कमजोर हो चुकी थी और भारी वाहनों के गुजरने से उस पर और अधिक दबाव पड़ रहा था। उन्होंने इस हादसे के लिए पूरी तरह से प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।
भारी जनहानि के साथ यातायात पर असर
महिसागर नदी पर बना यह पुल मध्य गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ता था। इसके जरिए भरूच, सूरत, नवसारी, तापी और वलसाड जैसे शहरों से सौराष्ट्र की ओर जाना आसान था। पुल टूटने के बाद अब इन स्थानों पर जाने के लिए लंबा रास्ता लेना होगा, जिसमें अहमदाबाद होते हुए सफर करना पड़ेगा। इससे न केवल आम लोगों की परेशानी बढ़ेगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा।
प्रशासन के खिलाफ लोगों का आक्रोश
हादसे के बाद घटनास्थल पर बड़ी संख्या में लोग जुट गए। उन्होंने जिला प्रशासन और स्थानीय निकाय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते पुल की मरम्मत कर दी गई होती तो आज इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती। सरकार और संबंधित विभाग की लापरवाही ने नौ परिवारों को उजाड़ दिया।
लापरवाही की भारी कीमत
वडोदरा का यह हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि देश में बुनियादी ढांचे की मरम्मत और देखरेख में इतनी अनदेखी क्यों होती है। 45 साल पुराने पुल को लेकर समय-समय पर चेतावनी दी गई थी, लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने नौ लोगों की जान ले ली। अब जरूरत है कि सरकार इस घटना से सबक ले और राज्यभर में पुराने और जर्जर पुलों की जांच कर उन्हें या तो बंद करे या समय पर मरम्मत कराए, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदी से बचा जा सके।
