पटना में मतदाता सूची पुनरीक्षण करने वाले दो बीएलओ किये गए निलंबित, डीएम ने की विभागीय कार्रवाई

पटना। बिहार में चल रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान पटना जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) को निलंबित कर दिया है। इन पर अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही और अनियमितता बरतने का आरोप है। पटना के जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि निर्वाचन कार्यों में किसी भी स्तर की शिथिलता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कानूनी कार्रवाई के आदेश
डीएम ने न केवल दोनों बीएलओ को निलंबित किया, बल्कि निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि इनके विरुद्ध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। इसके साथ ही नियंत्री पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि विभागीय स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शीघ्र शुरू की जाए। यह कदम प्रशासन की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर
पटना डीएम ने सभी निर्वाचन कर्मियों और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे निर्धारित समयसीमा के भीतर पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदारी से मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य को संपन्न करें। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह की लापरवाही न केवल प्रशासनिक कार्रवाई का कारण बनेगी, बल्कि कानूनी परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं।
राज्य भर में चल रहा है पुनरीक्षण अभियान
बिहार में 25 जून से 26 जुलाई तक चलने वाले इस विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत राज्य के करीब 8 करोड़ मतदाताओं की सूची का सत्यापन किया जा रहा है। यह प्रक्रिया इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची की सटीकता आवश्यक मानी जाती है।
लापरवाही से प्रभावित हो सकता है मतदान अधिकार
प्रशासन का यह कदम यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक का नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से वंचित न हो। खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में, जहां दस्तावेजों की उपलब्धता सीमित है, वहां बीएलओ की जिम्मेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि बीएलओ अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह होते हैं तो यह सीधे-सीधे लोकतांत्रिक अधिकारों पर प्रभाव डाल सकता है।
महादलित समाज में नाराजगी
इस घटना के सामने आने के बाद क्षेत्र के महादलित समाज में भी रोष देखा गया है। उनका आरोप है कि बीएलओ द्वारा जानबूझकर या लापरवाही से किए गए कार्यों के कारण कई पात्र मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं। इससे उनमें भविष्य में मतदान से वंचित हो जाने का डर बैठ गया है। ऐसे में प्रशासन से निष्पक्ष और प्रभावी कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है। जिलाधिकारी की ओर से की गई इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश गया है कि निर्वाचन कार्यों में अनुशासन और पारदर्शिता सर्वोपरि है। बीएलओ जैसे पदों पर कार्यरत अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करें। यह कार्रवाई बाकी निर्वाचन कर्मियों के लिए चेतावनी भी है कि यदि वे अपने कर्तव्यों से चूकते हैं, तो उन्हें भी इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए यह कदम जरूरी और समयानुकूल माना जा रहा है।
