बोले मंत्री महेश्वर हजारी- फसल अवशेष का प्रबंधन जरूरी, किसानों की बढ़ेगी आय

समस्तीपुर। रविवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के खेल मैदान में आयोजित तीन दिवसीय किसान मेले के उद्घाटन सत्र में कृषि वैज्ञानिकों व किसानों को संबोधित करते हुए योजना एवं विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि फसल अवशेष का व्यावसायिक उपयोग कर आय बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है। किसान इस तकनीक को अच्छी तरह से समझें। यह पर्यावरण के साथ-साथ ग्रामीण जीविकोपार्जन के लिए बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेषों का प्रबंधन बेहद जरूरी है। फसल अवशेष जलाने के कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। मंत्री ने कहा कि स्वच्छ वातावरण के लिए ही बिहार सरकार द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है, यह महत्वपूर्ण योजना है। इसमें सभी की सहभागिता जरूरी है। विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्य काफी सराहनीय हैं। मेले में लगे स्टॉलों की प्रदर्शन को देखकर मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बावजूद वैज्ञानिकों के दिशानिर्देश व सलाह से किसान अच्छा उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न कलाकृति व उत्पाद की सराहना की।
वहीं कुलपति डॉ. रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि किसान मेले का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जीविकोपार्जन के लिए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन है। इसके अंतर्गत किसानों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाएगी। विश्वविद्यालय पर्यावरण बचाव के लिए पूर्व से ही अपनी योजना तैयार कर कार्य कर रहा। इसके कारण विश्व के पांच विश्वविद्यालयों में इसे भी ग्रीन विश्वविद्यालय के रूप में चयनित किया गया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा से लेकर देवघर व बाबा गरीबनाथ मंदिर मुजफ्फरपुर में चढ़ाए गए बेलपत्र व फूल मंगाकर उससे जैविक खाद बनाया जा रहा। इसकी डिमांड बाजार में बहुत अच्छी है। मौके पर प्रमुख रवीता तिवारी ने विश्वविद्यालय के कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि में महिलाओं की भागीदारी आधी से अधिक है, इसलिए महिलाओं को भी ज्यादा से ज्यादा जुड़कर छोटे-छोटे उद्योग करना आवश्यक है। मौके पर विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एमएस कांडू, संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. पुष्पा सह, डॉ. आरके झा आदि लोगों ने भाग लिया।

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