केजरीवाल का बड़ा ऐलान, बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी आप, इंडिया गठबंधन से कोई समझौता नहीं

नई दिल्ली/पटना। बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को बड़ा राजनीतिक ऐलान करते हुए साफ कर दिया कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस बार कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के किसी भी घटक दल से कोई समझौता नहीं होगा।
इंडिया गठबंधन से दूरी
अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह समझौता केवल संसद के चुनाव तक सीमित था। अब जब बात राज्य विधानसभा चुनाव की है, तो पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि वह अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी और किसी अन्य दल से कोई तालमेल नहीं होगा।
राजनीतिक समीकरणों पर प्रभाव
केजरीवाल का यह फैसला बिहार की राजनीति में कई समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। एक ओर जहां इंडिया गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा और एनडीए के लिए यह एक राहत की खबर भी हो सकती है। केजरीवाल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी जमीनी मुद्दों को लेकर चुनाव में जाएगी और जनता को विकल्प देगी।
जल्द होगी उम्मीदवारों की घोषणा
अरविंद केजरीवाल ने यह भी बताया कि आम आदमी पार्टी बिहार की किन-किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह फैसला जल्द ही किया जाएगा। इसके साथ ही बिहार इकाई में पार्टी की कमान किन नेताओं को सौंपी जाएगी, इस पर भी पार्टी स्तर पर मंथन जारी है। सूत्रों के अनुसार, आप प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय कार्यकर्ताओं की सलाह से सीटों का चयन करेगी और उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त तक उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी हो सकती है।
केजरीवाल और अन्य नेता करेंगे प्रचार
केजरीवाल ने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार में वह स्वयं बिहार आएंगे और आम आदमी पार्टी के अन्य बड़े नेता भी प्रचार में शामिल होंगे। दिल्ली और पंजाब में शासन कर रही आप की योजना बिहार में भी खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने की है। पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को अपना मुख्य चुनावी एजेंडा बनाएगी।
कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष निशाना
भले ही केजरीवाल ने कांग्रेस का नाम सीधे नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस निर्णय के पीछे कांग्रेस के प्रति भरोसे की कमी भी एक कारण है। पहले भी कई बार दोनों पार्टियों के बीच तालमेल में खटास सामने आ चुकी है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी सीट शेयरिंग को लेकर विवाद हुए थे, खासकर पंजाब और दिल्ली में।
नए राजनीतिक विकल्प के तौर पर आप
बिहार में आम आदमी पार्टी अब खुद को एक वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी में है। हालांकि पार्टी की उपस्थिति अभी राज्य में बेहद सीमित है, लेकिन केजरीवाल का मानना है कि दिल्ली और पंजाब की तरह बिहार की जनता भी बदलाव चाहती है और यदि विकल्प दिया जाए तो वह जरूर समर्थन करेगी। अरविंद केजरीवाल का यह ऐलान बिहार की राजनीति में नया अध्याय जोड़ता है। जहां एक ओर यह फैसला विपक्षी एकता को कमजोर कर सकता है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को अपने संगठन और जनाधार को मजबूत करने का अवसर भी देगा। अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता आम आदमी पार्टी को कितना समर्थन देती है और क्या पार्टी राज्य की राजनीति में कोई नई लकीर खींच पाती है या नहीं।

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