लालू का एकमात्र उद्देश्य तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना, इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है : प्रशांत किशोर

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर गरमाहट देखने को मिली जब जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने यह स्पष्ट आरोप लगाया कि लालू यादव का एकमात्र उद्देश्य अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है, इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
तेजप्रताप यादव को लेकर उठी बात
हाल ही में तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर किए जाने की चर्चा सामने आई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू अपने परिवार में किसे रखें या निकालें, यह उनका निजी मामला है। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस पारिवारिक निर्णय का बिहार की जनता पर कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा? उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को इससे कोई मतलब नहीं कि लालू किस बेटे को पसंद करते हैं या किसे नहीं। जनता को तो उन नीतियों और फैसलों से मतलब है, जो उनके जीवन को बेहतर बना सकें।
तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की लालू की मंशा
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि लालू यादव का राजनीतिक उद्देश्य केवल एक ही है—तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना। उन्होंने लालू को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें साहस है तो वे सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करें कि राजद का अगला चेहरा यादव समाज का सबसे योग्य और सक्षम व्यक्ति होगा, न कि केवल उनका बेटा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि लालू ऐसा ऐलान करते हैं तो वे अपनी पार्टी का अभियान बंद कर देंगे और लालू का समर्थन करेंगे।
नीतीश कुमार पर सीधा हमला
प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश के सबसे गरीब राज्य के मुख्यमंत्री को विकास की योजनाओं के लिए नीति आयोग की बैठक में शामिल होना चाहिए था, लेकिन उन्होंने उसमें भाग नहीं लिया। बल्कि उन्होंने एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी प्राथमिकता राज्य का विकास नहीं बल्कि आगामी चुनावों में सीटों का बंटवारा और गठबंधन की राजनीति है।
मानसिक स्थिति पर टिप्पणी
उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, और शायद यही कारण है कि वे नीति आयोग की बैठक में नहीं गए। उनके अनुसार, यदि नीतीश उस बैठक में जाते तो उन्हें अन्य मुख्यमंत्रियों से बातचीत करनी पड़ती, जिससे उनकी मानसिक स्थिति उजागर हो जाती। यह बयान राजनीतिक मर्यादाओं से परे माना जा सकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर बिहार की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को लेकर काफी आक्रोशित हैं।
राजनीति में योग्यता बनाम परिवारवाद की बहस
प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर योग्यता बनाम वंशवाद की बहस को हवा दे दी है। उनका दावा है कि नेतृत्व उन्हीं के हाथ में होना चाहिए जो सबसे सक्षम हों, न कि केवल इसलिए कि वे किसी बड़े नेता के बेटे हैं। यह मुद्दा खासतौर पर युवा और जागरूक मतदाताओं के बीच खासा महत्व रखता है। प्रशांत किशोर के इन तीखे बयानों ने बिहार की सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद और जदयू इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और जनता किस विचारधारा को स्वीकार करती है।

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