मुजफ्फरपुर में मानव तस्करी रैकेट का खुलासा, 18 बच्चे कराए गए मुक्त, पांच गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर। बिहार में एक बार फिर से मानव तस्करी के मामले का उद्भेदन किया गया है। पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है। दरअसल मुजफ्फरपुर रेलवे पुलिस ने मानव तस्‍करी इस रैकेट का पर्दाफाश किया है। मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर मुजफ्फरपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस (15228) से 18 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया है। इस दौरान, आरपीएफ, जीआरपी, बीबीए के संयुक्त अभियान में पांच मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर की गयी। पता चला था कि कुछ लोगों द्वारा बच्चों को बहला-फुसलाकर यशवंतपुर ले जाया जा रहा है। टीम ने तत्परता दिखाते हुए ट्रेन में छापेमारी की और बच्चों को तस्करों के कब्जे से छुड़ा लिया। मानव तस्करों ने बताया कि, ठेकेदारी के क्रम में लालच देकर बच्चों को बेंगलुरू शहर के विभिन्न जगहों पर फैक्ट्री एवं होटलों में मजदूरी का काम करवाने के लिए ले जा रहे थे। जिसके एवज में प्रत्येक बच्चे को 10 हजार से 12 हजार रुपये महीना में दिया जाता है। गिरफ्तार चार मानव तस्कर मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले है, वहीं एक पूर्वी चंपारण का है। साथ ही सबसे अधिक मुक्त हुए 10 बच्चे मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। शिकायत दर्ज करने के साथ मामले को जीआरपी को सौंप दिया गया। गिरफ्तार मानव तस्करों में मिंटू कुमार (नाजीरपुर अहियापुर), राकेश पासवान (धबौली गायघाट), मोहम्मद मुस्तफा (साहेबगंज केसर चौक), रंजीत कुमार (हरनाही बरूराज) मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। इसके अलावा पूर्वी चंपारण के प्रेमचंद्र पंडित (रोहुआ, मधुबन) को भी पकड़ा गया है। संयुक्त अभियान में आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व में गोकुलेश पाठक, सुष्मिता कुमारी, उदय चंद्र सिंह, रीतेश कुमार, लालबाबू खान, मोहन प्रसाद, श्वेता लोधी, रेल थाना अमिताभ कुमार, बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी जय मिश्रा मौजूद थे। बिहार में गरीब परिवार के बच्‍चों को अच्‍छी कमाई और सुविधाओं का लालच देकर देश के दूसरे राज्‍यों में मजदूरी कराने की घटनाएं अक्‍सर सामने आती रहती हैं। बच्‍चों को काम के बदले बहुत कम पैसा तो दिया जाता ही है, साथ ही उनसे काम भी ज्‍यादा लिया जाता है।

 

 

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