दीपावली कलः स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन से मिलेगा धन व वैभव का वरदान

* प्रीति योग में गोवर्धन व चित्रगुप्त पूजा कल, आयुष्मन योग में भैया दूज 29 को

आज दीपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार को चित्रा नक्षत्र में मनायी जाएगी। धन, वैभव तथा सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह खास दिन है। आज प्रदोष काल के स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी होती है। श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश, लाभ की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे।
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि आज दीपावली के दिन चित्रा नक्षत्र में माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य और सामर्थ्य में वृद्धि होगी और इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। आज रविवार दिन होने से माता लक्ष्मी के साथ प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की भी असीम कृपा प्राप्त होगी। आज लक्ष्मी पूजा में माता को सुगंधित इत्र, कमल पुष्प, कौड़ी, कमलगट्टा अर्पण करने से प्रसन्न होती होती है और मनचाहा वरदान देती है।
12 वर्षों के बाद बना युग्म योग का संयोग
पंडित झा के मुताबिक आज दीपावली पर पुरे बारह वर्षो के बाद युग्म योग का संयोग बन रहा है I दीपावली पर चतुर्दशी एवं अमावस्या दोनों तिथि मौजूद होने से युग्म योग का भाव बना है । आज सुबह चतुर्दशी और संध्या में अमावस्या तिथि रहेगी। आज गुरु वृश्चिक राशि में तथा सूर्य व चंद्र तुला राशि में विद्यमान होंगे ।आज से ठीक बारह वर्ष पूर्व यानि 08 नवंबर 2007 को भी ऐसा ही योग बना था। उस समय शनि व केतु की युति थी, लेकिन ये ग्रह सिंह राशि में स्थित थे। 23 अक्टूबर 1995 को भी गुरु वृश्चिक राशि में और तब भी चतुर्दशी युक्त अमावस्या तिथि पर दीपोत्सव का पर्व मनाया गया था।
पूजन से मिलेगी आर्थिक व भौतिक समृद्धि
ज्योतिषी पंडित झा ने बताया कि दीपावली पूजा वृष लग्न में करना उत्तम माना गया है। इससे आर्थिक समृद्धि के साथ शांति व आनंद की प्राप्ति होती है। वृष लग्न संध्या 06 .21 बजे से 08.18 बजे के तक है। आज शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती हैं। ‘ब्रह्मपुराण’ के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है। आज के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का स्थिर लग्न में पूजा करने का खास महत्व है। आज स्वास्थ्य वृद्धि कारक योग भी बन रहा है। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से आरोग्य सुख, भौतिक समृद्धि, मानसिक तथा आत्मिक बल की प्राप्ति होगी।
पौराणिक काल से ही दीपावली की परंपरा
पंडित झा के अनुसार दीपावली की परंपरा रामायण एवं महाभारत काल से ही देश में इसकी परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवास-अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी का ज़ाहिर किया था। स्कंध पुराण,विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है।
लक्ष्मी पूजन और दीपदान मुहूर्त
लाभ योग : प्रातः 6.36 बजे से 7.59 बजे तक तथा दोपहर 4.16 बजे से शाम 5.39 बजे बजे तक
अमृत योग : सुबह 7.59 बजे से 9.22 बजे एवं रात्रि 8.54 बजे से 10.31 बजे तक
शुभ योग : दोपहर 10.44 बजे से दोपहर 12.07 और संध्या 7.16 बजे से रात्रि 8.54 बजे तक
चर योग : दोपहर 2.53 बजे से संध्या 4.16 बजे तक और रात्रि 10.31 बजे से मध्यरात्रि 12.08 बजे तक
स्थिर लग्न में गणेश-लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
वृश्चिक लग्न : प्रातः 7.21 बजे से 9.37 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11.11 बजे से दोपहर 11.56 बजे तक
कुंभ लग्न : दोपहर 1:44 बजे से 03:15 बजे तक
गुली काल मुहूर्त:- मध्याह्न 02 .22 बजे से 03 .47 बजे तक
प्रदोषकाल मुहूर्त: संध्या 05.10 बजे से रात्रि 08:14 बजे तक
वृष लग्न : संध्या 06 .21 बजे से रात्रि 08:18 बजे तक
कर्क और सिंह लग्न : रात्रि 10.50 बजे से 03.04 बजे तक
दीपोत्सव का प्रमुख है दीपावली
कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर सीता, लक्ष्मण, हनुमान व अन्य साथियों के साथ आकाश मार्ग से अयोध्या पधारे थे। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर तथा अहिंसा की प्रतिमूर्ति भगवान भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था। आज प्रदोष त्रयोदशी तिथि में प्रदोषकाल तथा निशीथकाल व्यापिनी अमावस्या में मनाया जाएगा। आज अमावस्या को चित्रा नक्षत्र में पूजन से सुख, समृद्धि और सुभिक्षकारक होगी।
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा कल
- दीपावली के अगले दिन यांनी कल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को स्वाति नक्षत्र व प्रीति योग में गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को छत्र की तरह अपनी अंगुली पर उठा कर वनस्पति तथा लोगों की रक्षा की थी। इससे इंद्र क्रोधित हो उठे, बारिश और तेज कर दी। उस गोवर्धन के नीचे सभी ब्रजवासी सुरक्षित थे। तब से दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नूकट मनाया जाता है। इस दिन चहुंमुखी विकास व वृद्धि की कामना से दीप जलाये जाते है। कल 28 अक्टूबर दिन सोमवार को प्रातः 09 : 44 बजे तक प्रतिपदा तिथि है। कल ही कायस्थ समुदाय के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा करेंगे।
बहन-भाई का पर्व: भैया दूज 29 अक्टूबर को
स्नेह, सौहार्द व प्रीति का प्रतीक यम द्वितीय यानि भैया दूज दीपोत्सव के अंतिम दिन यानि 29 अक्टूबर को विशाखा नक्षत्र व आयुष्मान योग में मनाया जाएगा। यम द्वितीया यानि भैया दूज 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को प्रातः 06 : 16 बजे तक द्वितीया है। लेकिन उदय तिथि के मान से पुरे दिन पूजा की जाएगी। इस दिन बहन अपने भाइयों को दीर्घायु, सुख, समृद्धि, यश, विद्या के लिए यमराज एवं उनके दूतों की पूजा करती है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना अपने भाई यम को अपने घर भोजन कराकर तिलक किया था I बहन द्वारा भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 8 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर तक लगाना शुभ होगा।