कोरोना की दूसरी लहर में बिहार में 9.5 करोड़ वास्तविक कोरोना के मामले, सरकार ने स्वीकारे मात्र 7 लाख

पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने प्रेस व्यक्तव्य में कहा है कि देशभर में किए गए शिरो प्रिविलेज के अध्ययन में पाया गया है कि बिहार में कोरोना के मरीजों का प्रतिशत सबसे अधिक था। इस वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर पाया गया है कि कोरोना की दूसरी लहर में बिहार में साढ़े 9 करोड़ वास्तविक कोरोना के मामले हुए। जबकि सरकार के द्वारा मात्र 7 लाख कोरोना मरीजों की बात स्वीकारी गई है। वास्तविक मामलों और सरकार द्वारा स्वीकारे गए कोरोना मामलों की तुलना करें तो हम पाते हैं कि बिहार में पूरे देश में सर्वाधिक, 134 गुणा मामलों को कम करके रिपोर्ट किया गया अर्थात बिहार सरकार द्वारा 134 केस में से मात्र एक केस को ही कोरोना पॉजिÞटिव माना गया।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में दूसरी लहर का प्रकोप इतना भयावह था कि नीतीश सरकार लाख कोशिशों के बावजूद भी सच्चाई को छुपा नहीं सकी। गांव-गांव में कोरोना के मरीज मिल रहे थे। 2-3% मरीजों को छोड़ दिया जाए तो बाकी मरीजों का कभी कोरोना टेस्ट भी नहीं हुआ। गांवों के 99% मरीज कभी अस्पताल पहुंचे ही नहीं। ये अपने इलाज के लिए नीम हकीमों पर ही निर्भर रहे। राजद द्वारा सर्वदलीय बैठक में दिए गए एक भी सुझाव को नहीं माना गया, जिसका नतीजा बिहारवासियों को अपने परिजनों को खोकर चुकाना पड़ा। बिहार के श्मशानों में लगातार एक साथ कई लाशें जल रहीं थीं।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में कोरोना से मौत का आधिकारिक आंकड़ा न्यायालय की लताड़ खाने के बाद 9 हजार के पार पहुंचाया गया। जबकि अध्ययन पर चला जाए तो बिहार में मृतकों की संख्या कम से कम लाखों में है।

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