नीतीश कैबिनेट की बैठक में 33 एजेंडों पर लगी मुहर, विशेष भूमि सर्वेक्षण की अवधि 6 महीनों तक बढ़ी
- प्रदेश में लैंड सर्वे की अवधि बढ़ी, अब 180 दिनों में होगा सेल्फ डेक्लियशन, पटना में बनेगा सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। बैठक में राज्य के विभिन्न विभागों से जुड़े हुए कुल 33 एजेंडों पर मुहर लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। बैठक में राज्य के विभिन्न विभागों से जुड़े हुए कुल 33 एजेंडों पर मुहर लगी है।
प्रदेश में लैंड सर्वे की अवधि बढ़ी, अब 180 दिनों में होगा सेल्फ डेक्लियशन
बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के संबंध में राज्य के लोगों को बड़ी राहत दी है। जनता की परेशानियों और विधानसभा चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भूमि सर्वे की समयसीमा को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य सर्वेक्षण प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाना है ताकि सभी नागरिक अपनी भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान पा सकें। बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार्य लंबे समय से विवादों और कठिनाइयों से घिरा रहा है। सरकारी प्रक्रिया की जटिलता, दस्तावेजों की कमी और सर्वेक्षण कर्मचारियों की कार्यशैली ने जनता के लिए समस्या खड़ी की है। रैयतों और अन्य दावेदारों को अपनी भूमि का दावा करने में समय और संसाधनों की भारी कमी का सामना करना पड़ा है। इसे देखते हुए, सरकार ने इस प्रक्रिया को अधिक व्यावहारिक और जनहितैषी बनाने का निर्णय लिया है।
सरकार का बड़ा फैसला
शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने विधानसभा में घोषणा की कि सर्वेक्षण की अवधि को 180 दिनों तक बढ़ाया गया है। इस बढ़ी हुई समयसीमा के तहत सेल्फ डेक्लियरेशन (स्वघोषणा) के लिए नागरिकों को 180 दिनों का समय दिया जाएगा। रैयतों द्वारा भूमि के दावे करने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा। दावों के निपटारे के लिए भी 60 दिनों का अतिरिक्त समय निर्धारित किया गया है। यह कदम न केवल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि सभी पक्षों को पर्याप्त समय प्रदान करेगा ताकि वे अपने भूमि संबंधी मामलों को सुलझा सकें।
जनता के लिए राहत भरा निर्णय
मंत्री दिलीप जायसवाल ने घोषणा की कि सरकार जनता को कोई परेशानी नहीं होने देगी। उनका कहना था कि जब तक लोगों को सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते, तब तक किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी द्वारा नागरिकों को परेशान नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किए जाएंगे और इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
समस्याओं का समाधान
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य जनता को भूमि सर्वेक्षण से संबंधित जटिलताओं से राहत दिलाना है। इस प्रक्रिया के तहत लोग अपने दावे और आपत्तियां आसानी से दर्ज कर पाएंगे। सरकार की ओर से जनता को सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रक्रिया को व्यवस्थित और समयबद्ध बनाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों पर निगरानी रखी जाएगी।
राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण
विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही यह निर्णय राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार ने इस कदम के जरिए जनता का भरोसा जीतने और अपने प्रशासनिक कार्यों को जनहितैषी दिखाने का प्रयास किया है। लैंड सर्वे जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रक्रिया में जनता की समस्याओं को ध्यान में रखना सरकार की प्राथमिकता बन गई है।
भूमि विवादों का समाधान
बिहार में भूमि विवाद एक पुरानी समस्या है, जिसमें ज्यादातर झगड़े कागजातों की कमी और सर्वेक्षण प्रक्रिया की जटिलता के कारण होते हैं। सरकार का यह कदम इन विवादों को हल करने और भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। भविष्य की उम्मीदें
यह निर्णय बिहार के भूमि सर्वेक्षण इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि यह प्रक्रिया सही ढंग से लागू होती है, तो यह जनता और प्रशासन के बीच विश्वास को मजबूत करेगी। भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और पारदर्शिता लाने के लिए सरकार को तेजी से काम करना होगा। जनता को इस प्रक्रिया में अधिक जागरूक और सक्रिय भूमिका निभानी होगी। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सर्वेक्षण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो। बिहार सरकार का भूमि सर्वेक्षण की अवधि बढ़ाने का निर्णय जनता के लिए राहत भरा कदम है। यह न केवल सर्वेक्षण प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि भूमि विवादों को कम करने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने में भी सहायक होगा। यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार जनता की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। इस निर्णय का सही और प्रभावी क्रियान्वयन बिहार को भूमि विवादों से मुक्त और अधिक व्यवस्थित राज्य बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
पटना में खुलेगा सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल, बिहार में नेत्र चिकित्सा को मिलेगी नई दिशा
बिहार की राजधानी पटना में जल्द ही एक अत्याधुनिक सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल स्थापित किया जाएगा। शंकर नेत्रालय फाउंडेशन द्वारा संचालित यह अस्पताल कंकड़बाग क्षेत्र में 1।60 एकड़ जमीन पर बनेगा। राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हुए 99 साल के लिए लीज पर जमीन उपलब्ध कराई है। इस अस्पताल के निर्माण से बिहार में नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आने की उम्मीद है।
परियोजना का उद्देश्य और विशेषताएं
शंकर नेत्रालय फाउंडेशन का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र चिकित्सा सेवाएं सभी वर्गों तक पहुंचाना है। यह अस्पताल न केवल अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा, बल्कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए विशेष योजनाएं भी उपलब्ध कराएगा। इस अस्पताल में उन मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाएगा, जिनकी वार्षिक आय 2।5 लाख रुपये से कम है। अन्य मरीजों के लिए चिकित्सा सेवाओं पर सब्सिडी दी जाएगी। शंकर नेत्रालय फाउंडेशन ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में नेत्र शिविर आयोजित कर जरूरतमंद मरीजों तक सेवाएं पहुंचाएगा। यह सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल अत्याधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से सुसज्जित होगा। आंखों की सर्जरी और इलाज के लिए अत्याधुनिक लेजर तकनीक का उपयोग किया जाएगा। मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। अस्पताल नेत्रदान को प्रोत्साहित करने और जागरूकता फैलाने का भी कार्य करेगा। बच्चों की आंखों की समस्याओं के निदान और उपचार के लिए विशेष प्रभाग स्थापित किया जाएगा।
स्थान और संरचना
कंकड़बाग में 1.60 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस अस्पताल में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह स्थान पटना के मध्य में स्थित होने के कारण मरीजों के लिए आसानी से सुलभ होगा। बिहार सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है। सरकार ने अस्पताल निर्माण के लिए जमीन 99 साल की लीज पर उपलब्ध कराई है। सरकार ने इस परियोजना के लिए सभी आवश्यक प्रशासनिक स्वीकृतियां दी हैं, जिससे निर्माण कार्य शीघ्र शुरू हो सके। इस अस्पताल की स्थापना राज्य सरकार की स्वास्थ्य नीति के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कदम है।
बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की उम्मीद
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में यह पहल एक बड़ा कदम है। वर्तमान में नेत्र चिकित्सा के लिए मरीजों को बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। इस सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल के बनने से न केवल राज्य के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, बल्कि आसपास के राज्यों से भी मरीज यहां इलाज के लिए आ सकेंगे।
भविष्य की संभावनाएं
इस सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल के निर्माण से न केवल चिकित्सा सेवाएं बेहतर होंगी, बल्कि राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। विशेषज्ञ डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी। इसके अलावा, अस्पताल के आसपास छोटे व्यवसायों और सेवाओं को भी बढ़ावा मिलेगा। पटना में बनने वाला यह सुपर स्पेशलिस्ट आई हॉस्पिटल बिहार में नेत्र चिकित्सा के लिए मील का पत्थर साबित होगा। गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त और सुलभ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से यह अस्पताल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करेगा, बल्कि लोगों के जीवन में आशा की नई किरण भी जगाएगा। शंकर नेत्रालय फाउंडेशन और बिहार सरकार के इस संयुक्त प्रयास से राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।


