नीतीश कैबिनेट की बैठक में 30 एजेंडों पर मुहर, अगले 5 सालों में एक नौकरी और रोजगार देगी सरकार

- पटना मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 179.73 करोड रुपए मंजूर, चार डॉक्टर किए गए बर्खास्त
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को 30 एजेंडों पर मुहर लगी। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सरकार विकास और वर्गीय सशक्तिकरण के एजेंडे को योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ा रही है। मुख्य सचिवालय के कैबिनेट हॉल में आयोजित महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक सीएम नीतीश ने ढांचागत विकास, रोजगार सृजन, नई नियुक्तियों सहित विविध क्षेत्रों से जुड़े कुल 30 एजेंडों पर मुहर लगाई।
अगले 5 सालों में एक नौकरी और रोजगार देगी बिहार सरकार, प्रस्ताव को मिली स्वीकृति
बिहार सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश के युवाओं को एक बड़ी सौगात दी है। राज्य सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह अगले पांच वर्षों में एक करोड़ नौकरी और रोजगार के अवसर सृजित करेगी। अब इस महत्वाकांक्षी योजना पर कैबिनेट ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है, जिससे यह साफ हो गया है कि सरकार अपने वादे को लागू करने के लिए गंभीर है।
कैबिनेट की बैठक में श्रम संसाधन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी
15 जुलाई को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में श्रम संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। इस प्रस्ताव के तहत अगले पांच वर्षों में राज्य के युवाओं के लिए एक करोड़ नौकरी और रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। इसका उद्देश्य बेरोजगारी की समस्या को कम करना और युवाओं को स्वावलंबी बनाना है। इस निर्णय को चुनावी दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चुनाव पूर्व रणनीतिक फैसला
बिहार में विधानसभा चुनाव करीब हैं और विपक्ष सरकार के खिलाफ रोजगार के मुद्दे को हथियार बनाकर जनता के बीच जाने की तैयारी में था। विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे थे कि राज्य में रोजगार की भारी कमी है और सरकार इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रही। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष की रणनीति को कमजोर करने के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए इस योजना की घोषणा की और अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगवा ली है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कई सार्वजनिक मंचों से यह आश्वासन दे चुके हैं कि बिहार के युवाओं को बेहतर भविष्य देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उनकी ओर से किया गया यह वादा अब नीतिगत रूप ले चुका है और इसका कार्यान्वयन भी शुरू हो जाएगा। इससे न केवल लाखों बेरोजगारों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार की साख भी मजबूत होगी।
नई समिति का गठन और कार्ययोजना
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता विकास आयुक्त करेंगे। यह समिति रोजगार और नौकरी के सृजन के सभी संभावित क्षेत्रों, संसाधनों और योजनाओं की गहन समीक्षा करेगी और राज्य सरकार को आवश्यक सुझाव देगी। समिति विभिन्न विभागों, निजी क्षेत्रों, स्टार्टअप्स और उद्यमिता से जुड़े विकल्पों को ध्यान में रखते हुए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करेगी।
रोजगार सृजन के संभावित क्षेत्र
सरकार की इस योजना में केवल सरकारी नौकरियां ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र, स्वरोजगार, कौशल विकास, उद्यमिता, स्टार्टअप्स, कृषि आधारित उद्योग, निर्माण कार्य और सेवा क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि राज्य में केवल नौकरियों पर निर्भरता न हो, बल्कि युवा खुद भी रोजगार सृजन में भागीदार बनें।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस निर्णय से सरकार को राजनीतिक लाभ मिलने की पूरी संभावना है। जहां एक ओर इससे युवाओं में उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष का बड़ा मुद्दा कमजोर पड़ गया है। अगर यह योजना सही तरीके से लागू होती है तो यह बिहार के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को सुदृढ़ करने में मददगार सिद्ध हो सकती है। सरकार की यह पहल अगर नियोजन, संसाधन और निष्पादन के स्तर पर सफल होती है तो यह बिहार के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जाएगा। राज्य के युवाओं को अब उम्मीद है कि रोजगार के लिए उन्हें पलायन नहीं करना पड़ेगा और वे अपने ही राज्य में आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
पटना मेट्रो के रख-रखाव कार्य के लिए 179.37 करोड़ रुपये स्वीकृत
पटना मेट्रो रेल परियोजना को लेकर राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रायोरिटी कॉरिडोर के दो वर्ष आठ महीने की अवधि के रख-रखाव कार्य के लिए कुल अनुमानित 179.37 करोड़ रुपये का खर्च स्वीकृत किया गया है। यह कार्य सेवा कर मुक्त होगा और इसे नामांकन के आधार पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएमआरसी) को सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त, प्रायोरिटी कॉरिडोर के कार्यान्वयन के लिए तीन कार सिंगल ट्रेनसेट को किराए पर लेने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसके लिए 21.154 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई है। इन ट्रेनसेट्स की देखरेख की जिम्मेदारी भी डीएमआरसी को सौंपी गई है। इस फैसले से मेट्रो परियोजना को रफ्तार मिलने की संभावना है, जिससे पटना के शहरी यातायात को बड़ी राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य विभाग में कड़ा कदम: चार डॉक्टरों की बर्खास्तगी
राज्य के स्वास्थ्य विभाग में अनुशासनहीनता और लापरवाही पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। कैबिनेट बैठक में चार डॉक्टरों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का फैसला लिया गया। इनमें लखीसराय में तैनात डॉ. कृतिका सिंह और डॉ. कृति किरण, जमुई में नियुक्त डॉ. निमिषा रानी, और बेगूसराय में कार्यरत डॉ. चंदना कुमारी शामिल हैं। इन सभी डॉक्टरों को लगातार अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से हटाया गया है। यह निर्णय सरकार की जवाबदेही और व्यवस्था में अनुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संकेत माना जा रहा है।
पूर्णिया में रेलवे ओवरब्रिज निर्माण के लिए राशि स्वीकृत
यातायात के सुगम संचालन और रेलवे फाटकों पर ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से पूर्णिया जिले में एक नई योजना को मंजूरी दी गई है। रानीपतरा और पूर्णिया रेलवे स्टेशनों के बीच स्थित लेवल क्रॉसिंग के स्थान पर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 4485.56 लाख रुपये की अनुमानित लागत को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इस आरओबी के निर्माण से पूर्णिया में आवागमन बेहतर होगा और लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।
इन फैसलों से जुड़े संभावित लाभ
इन तीनों बड़े फैसलों से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है। जहां पटना मेट्रो के रखरखाव और ट्रेनसेट की व्यवस्था से मेट्रो परियोजना के समयबद्ध क्रियान्वयन को बल मिलेगा, वहीं स्वास्थ्य विभाग की अनुशासनात्मक कार्रवाई से कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना पैदा होगी। दूसरी ओर पूर्णिया में आरओबी निर्माण से क्षेत्रीय विकास और यातायात सुगमता में सुधार होगा। बिहार सरकार के ये फैसले प्रशासनिक दक्षता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इन निर्णयों से राज्य में बुनियादी ढांचे, सेवा वितरण और शहरी परिवहन के क्षेत्र में नई ऊर्जा आने की उम्मीद की जा रही है। यदि इन योजनाओं को समय पर और पारदर्शिता के साथ लागू किया गया, तो यह राज्य की छवि को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर बनाएगा, बल्कि आम जनता को भी इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
