बिहार में जल्द होगा 17 हजार शिक्षकों का ट्रांसफर, दशहरा की छुट्टी के बाद शुरू होगी कागजी प्रकिया
पटना। बिहार में लंबे समय से शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हजारों शिक्षकों के लिए राहत की खबर है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि दशहरा की छुट्टियों के बाद करीब 17 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर की कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। हालांकि, नयी पोस्टिंग विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद ही लागू हो सकेगी।
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले सरकारी स्कूलों में इस बार लगभग 15 से 17 हजार स्थानांतरण के आवेदन आए हैं। शिक्षकों को 23 से 28 सितंबर तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर आवेदन करने का अवसर दिया गया था। यह विशेष अवसर उन शिक्षकों के लिए था जिनका पहले ट्रांसफर नहीं हो सका था। पहले चरण में जब शिक्षकों से तीन जिलों के विकल्प मांगे गए थे, तब कई आवेदक सीट उपलब्ध न होने के कारण ट्रांसफर से वंचित रह गए थे। ऐसे में शिक्षा विभाग ने उन्हें यह मौका दिया कि वे अपने लिए तीन नये जिलों के विकल्प चुनकर आवेदन करें। अब सभी आवेदनों की स्क्रूटनी की जाएगी।
चुनाव से पहले पूरी होगी प्रक्रिया
सूत्रों की मानें तो चुनाव से पहले-ही तबादलों की प्रक्रिया से जुड़े कागजी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी। हालांकि, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) लागू होने की वजह से शिक्षकों की वास्तविक पोस्टिंग चुनाव समाप्त होने के बाद ही संभव होगी। विभाग की ओर से यह भी कहा गया कि चूंकि शिक्षक चुनावी कार्यों में भी शामिल रहते हैं, ऐसे में चुनाव प्रक्रिया असर से पहले उन्हें नए पदस्थापन स्थल पर भेजना संभव नहीं होगा।
नयी मॉनिटरिंग व्यवस्था लागू
इसके साथ ही बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों के लिए एक नया आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि अब यह जानकारी नियमित रूप से दी जाएगी कि हर दिन कक्षाओं में बच्चों को क्या पढ़ाया गया और किस तरह का होमवर्क दिया गया। पहले यह जिम्मेदारी केवल प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की थी जो विभाग को अपडेट देते थे। अब इसमें बदलाव किया गया है और शिक्षकों को भी अपने पढ़ाए गए विषय और कक्षा की पूरी जानकारी देनी होगी।
क्लास मॉनिटर की भूमिका
नई व्यवस्था में कक्षा के मॉनिटर की भी भूमिका तय की गई है। कक्षा मॉनिटर यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक ने दिनभर में क्या-क्या पढ़ाया, बच्चों की समझ कैसी रही और उन्हें क्या होमवर्क दिया गया। यह सूची रोजाना तैयार कर मॉनिटर प्रधानाध्यापक को सौंपेगा। प्रधानाध्यापक इन सभी सूचनाओं को आगे विभाग के संबंधित वरीय अधिकारियों को भेजेंगे। इससे न केवल पढ़ाई में पारदर्शिता आएगी, बल्कि शिक्षण की गुणवत्ता की निगरानी भी संभव होगी।
यूथ क्लब का सहयोग
इस नये मॉडल में स्थानीय स्तर पर बने यूथ क्लब के सदस्यों की भी मदद ली जाएगी। ये सदस्य क्लास मॉनिटर के साथ मिलकर बच्चों से फीडबैक लेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जो विषय पढ़ाया गया है, बच्चे उसे समझ पा रहे हैं या नहीं। यह भी तय किया गया है कि यदि बच्चों को किसी विषय को लेकर शिकायत या असंतोष है, तो उसकी जानकारी भी विभाग तक पहुंचाई जाएगी।
गुणवत्ता सुधार की कोशिश
शिक्षा विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर होगी। अब तक यह शिकायतें मिलती रही हैं कि स्कूलों में पढ़ाई नियमित या प्रभावी ढंग से नहीं हो पाती। लेकिन नई व्यवस्था में शिक्षक की जवाबदेही तय होगी और बच्चों के प्रदर्शन पर भी सीधी नजर रखी जा सकेगी।
ग्रामीण इलाकों पर खास जोर
यह कदम विशेषकर उन ग्रामीण इलाकों के लिए अहम माना जा रहा है जहां शिक्षण की गुणवत्ता निजी स्कूलों की तुलना में कमजोर रहती है। यहां नए सिस्टम के लागू होने से बच्चों को न केवल बेहतर पढ़ाई मिल सकेगी बल्कि शिक्षक भी अपने काम के प्रति अधिक जिम्मेदार और सचेत होंगे। बिहार में दशहरा की छुट्टी के बाद शुरू होने वाली शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया राज्य के शिक्षा तंत्र में बड़े बदलाव की ओर संकेत करती है। करीब 17 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर से न केवल शिक्षकों की समस्याओं का समाधान होगा बल्कि शिक्षा विभाग विभिन्न जिलों और स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता को संतुलित करने में सक्षम होगा। साथ ही, पढ़ाई की दैनिक निगरानी, क्लास मॉनिटर और यूथ क्लब की सक्रिय भूमिका जैसे नए प्रयोग सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर बना सकते हैं। यह बदलाव केवल शिक्षकों के लिए नहीं, बल्कि बच्चों और अभिभावकों के लिए भी उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।


