वेबिनार में नीतू नवगीत ने पेश किए मिथिला के पारंपरिक लोकगीत : जे सुखवा है ससुरारी में….

पटना/मुंबई। साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान मुंबई उत्तर प्रदेश मंडल आॅफ अमेरिका तथा राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में रामकथा का विश्व संदर्भ लोक मानस में राम विषयक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, मॉरीशस, रूस, ताशकंद (उज्बेकिस्तान), इंडोनेशिया, श्रीलंका तथा पोलैंड के वक्ताओं ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की चर्चा करते हुए वैश्विक फलक पर रामकथा की विस्तार से चर्चा की। वेबिनार में डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि भगवान राम में हमारी अटूट आस्था रही है। वह हमारे आराध्य देव हैं।
वहीं बिहार की लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने वेबिनार में कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के पारंपरिक लोकगीतों में राम और सीता का जीवन बार-बार एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है। राम यदि अयोध्या के राजकुमार थे तो जनक नंदिनी सीता मिथिला की राजकुमारी। इन दोनों के विवाह ने रामायण युग में दोनों क्षेत्रों के बीच के सांस्कृतिक-सामाजिक संबंधों को मजबूत किया। आयोजन में उन्होंने देखकर रामजी को जनक नंदिनी बाग में बस खड़ी की खड़ी रह गई, राम जी से पूछे जनकपुर की नारी बता द बबुआ लोगवा देत काहे गारी बता द बबुआ, राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी और ए पहुना जी मिथिले में रहूं ना सहित राम और सीता के जीवन से जुड़े कई लोक गीतों की प्रस्तुति दी। वेबिनार के दौरान डॉ. किरण बाला, शोनाली श्रीवास्तव, निधि निगम और उपेंद्र सिंह ने जनकपुर में मड़वा सहित राम के जीवन पर भजन और लोकगीत पेश किए। कार्यक्रम का संचालन साठवे विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह ने किया और सभी विद्वानों से अनुरोध किया कि 25 खंडों में निकलने वाले वैश्विक रामकथा कोष के लिए अपनी-अपनी ओर से योगदान दें। कार्यक्रम में फिलवक्त कैलिफोर्निया में रह रही बिहार की प्रसिद्ध साहित्यकार विभा रानी श्रीवास्तव ने रामकथा में रावण के चरित्र के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रावण एक मायावी राक्षस था, जो अपनी माया से अपने सिर को आभासी रूप से एक से दस और अपनी भुजाओं की संख्या दो से बढ़ाकर 20 तक कर लेता था। उत्तर प्रदेश मंडल आॅफ अमेरिका की चेयर पर्सन नीलू गुप्ता ने कहा कि संपूर्ण वैदिक साहित्य का ज्ञान रामायण कथा में समाहित है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के प्रो दिलीप सिंह ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि बाल्मीकि और तुलसीदास के साथ-साथ सैकड़ों लेखकों ने रामकथा लिखी है।

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