विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस-2020 की थीम है ‘फियर या फेवर के बिना पत्रकारिता’

फुलवारी/खगौल। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इंडियन फेडरेशन और वर्किंग जर्नलिस्ट्स (आईएफ डब्लूजे, नई दिल्ली) बिहार ईकाई एवं यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन आफ इंडिया की ओर से दानापुर, खगौल और फुलवारी शरीफ के मीडियाकर्मियों के बीच कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा किट और लेखन सामग्री का वितरण किया गया। साथ ही मीडिया कर्मियों ने इसे प्रशासनिक अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों समेत अन्य बुद्धिजीवी वर्ग के बीच वितरित किया।
आईएफ डब्लूजे, बिहार ईकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. ध्रुव कुमार और महासचिव सुधीर मधुकर ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव के दिशानिर्देश पर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जा रहा है। इसकी जगह जान जोखिम में डालकर जो मीडियाकर्मी कोरोना योद्धा के रूप में दिन-रात समाचार संकलन के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हंै, वैसे मीडियाकर्मी को सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर उनके जरूरतों के अनुरूप स्वास्थ्य सुरक्षा किट और लेखन सामग्री दिया गया। उन्होंने कहा कि अफवाहों को रोकने में भी प्रेस की अहम भूमिका रही है। प्रेस की स्वतंत्रता जरूरी है, ताकि समाज की बुराईयों की ओर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा सके।


इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव, महासचिव विपिन धुलिया, उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौर एवं मोहन कुमार, सोशल मीडिया प्रभारी विश्वदेव राव, प्रमोद दत्त, मुकेश महान, अभिजीत पांडये, रामनरेश ठाकुर, महेश प्रसाद, डॉ. प्रवीण कुमार, प्रदीप उपाध्याय, प्रभाष चन्द्र शर्मा, वीणा बेनीपुरी, सत्यनारायण चतुर्वेदी आदि ने अपने-अपने संदेश में देश भर के मीडियाकर्मियों को बधाई देते हुए कहा है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘फियर या फेवर के बिना पत्रकारिता’ है। हमें समाज, देश और लोकतंत्र के हित में बिना डर या पक्षपात के पत्रकारिता के अपने मिशन को हर हाल में जारी रखना है और रखेंगे भी।
बता दें संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करना, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाह्य तत्वों के हमले से बचाव करना एवं प्रेस की स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए संवाददाताओं की यादों को सहेजना है। दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के साथ प्रेस को चौथा खंभा माना जाता है। प्रेस इनको जोड़ने का काम करती है। प्रेस की स्वतंत्रता के कारण ही कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को मजबूती के साथ आम आवाम की भावना को अभिव्यक्त करने का अवसर हासिल हुआ है।

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