माघी पूर्णिमा 27 फरवरी को, स्नान-दान के साथ संपन्न होगा कल्पवास

पटना। हिन्दू धर्मावलंबीयों के पवित्र मास माघ की पूर्णिमा 27 फरवरी (शनिवार) को मघा नक्षत्र व सुकर्मा योग के युग्म संयोग में मनायी जाएगी। विगत एक माह से चला आ रहा कल्पवास भी इस दिन समाप्त हो जाएगा। मान्यताओं के अनुसार माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं तथा तीर्थराज प्रयाग के संगम में स्नान कर अपने इष्ट का जप-तप करते हैं। कल्पवास में श्रद्धालु गंगा, संगम आदि पवित्र नदियों के तट पर पूरे एक मास निवास कर नित्य आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते हैं। इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन भी कहा जाता है। माघी पूर्णिमा को भगवान नारायण के पूजन, पितृ श्राद्ध, निर्धन को दान करने से सुख-सौभाग्य, धन व मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा को काशी या हरिद्वार में स्नान का विशेष महत्व है।
पाप व संताप से मिलेगा छुटकारा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि हिन्दू धर्म में माघ मास की विशेष महत्ता है। इस मास को भगवान भास्कर और जग पालनकर्ता श्रीहरि विष्णु का माह माना गया है। 26 फरवरी को दोपहर तकरीबन 03 बजे से पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है तथा 27 फरवरी को पूर्णिमा दोपहर लगभग 02 बजे तक रहेगा, परंतु उदयातिथि के अनुसार पूरे दिन पूर्णिमा के मान होने से स्नान-दान, पूजा-पाठ, धार्मिक कृत्य होंगे। माघ के पूर्णिमा को गंगा में डुबकी लगाने से जातक पाप मुक्त होकर स्वर्ग लोक को पाता हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान केशव गंगाजल में विराजमान रहते है, इसीलिए इस पावन अवसर पर गंगाजल के स्पर्श करने से भी स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप एवं संताप मिट जाते हैं।
पुत्ररत्न व ब्रह्मलोक की होगी प्राप्ति
पंडित गजाधर झा ने कहा कि पंचांग के मुताबिक 11वें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है। इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है। पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य व पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। मत्स्य पुराण के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा में जो श्रद्धालु ब्राह्मण को दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा को दान में तिल, उनी वस्त्र, अन्न, घी, दुग्ध निर्मित वस्तुएं, गुड आदि का दान करना पुण्यदायक होता है।
स्नान-दान के साथ संपन्न होगा कल्पवास
ज्योतिषी झा ने कहा कि माघ मास में श्रद्धालु गंगा-यमुना के संगम तट पर तीस दिनों का (पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक) कल्पवास करते हैं। साथ ही जरूरतमंदों को सर्दी से बचने योग्य वस्तुओं, जैसे- ऊनी वस्त्र, कंबल और आग तापने के लिए लकड़ी आदि का दान कर अनंत पुण्य फल की प्राप्ति तथा जीवन को सार्थक बनाते हैं। इस पूरे मास में कई ऐसे तिथियां थी जिसमें गंगा या संगम स्नान से हजारों अश्वमेघ और सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के साथ-साथ सहस्त्र ग्रहण स्नान का फल मिलता है। माघी पूर्णिमा के बाद कल्पवास भी पूरा हो जाएगा।
चन्द्र किरणें देगी आरोग्यता
आचार्य झा ने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन संगम या गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन चन्द्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं तथा पूर्ण चन्द्रमा अमृतवर्षा करते हैं जिसका अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ते हैं। इसीलिए इनमें आरोग्यदायक गुण उत्पन्न होते हैं। माघ पूर्णिमा में स्नान-दान करने से सूर्य और चन्द्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश और कर्क राशि में चंद्रमा का प्रवेश होने से माघी पूर्णिमा को पुण्य दायक योग बनता है तथा सभी तीर्थों के देवता पूरे माह प्रयाग तथा अन्य तीर्थों में विद्यमान रहने से अंतिम दिन को जप-तप व संयम द्वारा सात्विकता को प्राप्त करते हैं।
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि : सूर्योदय से दोपहर 01:52 बजे तक (बनारसी पंचांग)
पूर्णिमा तिथि : सूर्योदय से दोपहर 02:04 बजे तक (मिथिला पंचांग)
(उदयातिथि के मुताबिक पुरे दिन)
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:39 बजे से 12:25 बजे तक
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 06:16 बजे से 07:42 बजे तक

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