माघी पूर्णिमा: गंगाजल के स्पर्शमात्र से मिलती है स्वर्ग की प्राप्ति

अश्लेषा नक्षत्र व सौभाग्य योग के युग्म संयोग में 9 को मनेगी माघी पूर्णिमा

पटना। सनातन धर्मावलंबियों के पवित्र मास माघ की पूर्णिमा आगामी 9 फरवरी को अश्लेषा नक्षत्र व सौभाग्य योग के युग्म संयोग में मनाई जाएगी। इसके साथ ही विगत एक माह से चला आ रहा कल्पवास भी समाप्त हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं तथा तीर्थराज प्रयाग के संगम में स्नान कर अपने इष्ट का जप-तप करते हैं। कल्पवास में श्रद्धालु गंगा, संगम आदि पवित्र नदियों के तट पर पूरे एक मास निवास कर नित्य आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते हैं।
पुत्र रत्न व ब्रह्मलोक की होगी प्राप्ति
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि हिन्दू धर्म में माघ मास की विशेष महत्ता है। इस मास को भगवान भाष्कर और जग पालनकर्ता श्रीहरि विष्णु का माह माना गया है। देवता भी इस मास में स्वर्ग लोक से पृथ्वीलोक पर निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि इस मास के पूर्णिमा को शीतल जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति पाप मुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्त करता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार माघी पूर्णिमा पर स्वंय भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करतें है, इसीलिए इस पावन दिवस पर गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति करा सकता है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप एंव संताप मिट जाते हैं। हिन्दू पंचांग के मुताबिक 11वें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है। इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है। पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य व पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। मत्स्य पुराण के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा में जो श्रद्धालु ब्राह्मण को दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व होता है क दान में भोज्य पदार्थ, वस्त्र, गुड, कपास, घी, लड्डु, फल, अन्न आदि का दान करना पुण्यदायक होता है।
निरोग काया व सात्विकता का मिलेगा वरदान
आचार्य राकेश झा ने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन महाकुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन चन्द्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं तथा पूर्ण चन्द्रमा अमृत वर्षा करते हैं जिसका अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ते हैं। इसीलिए इनमें आरोग्यदायक गुण उत्पन्न होते हैं। माघ पूर्णिमा में स्नान-दान करने से सूर्य और चन्द्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश और कर्क राशि में चंद्रमा का प्रवेश होने से माघी पूर्णिमा को पुण्य दायक योग बनता है तथा सभी तीर्थों के देवता पूरे माह प्रयाग तथा अन्य तीर्थों में विद्यमान रहने से अंतिम दिन को जप-तप व संयम द्वारा सात्विकता को प्राप्त करते हैं। संगम में माघ पूर्णिमा का स्नान एक प्रमुख स्नान है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज रहता है जो पाप का शमन करता है।

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