भाजपा के दवाब के कारण CM नीतीश को शिक्षा मंत्री मेवालाल से लेना पड़ा इस्तीफा ?

पटना। बिहार की सियासत कब कौन सा मोड़ ले ले कहना मुश्किल है। गुरूवार को सियासी गलियारे में कुछ ऐसा ही वाक्या देखने को मिला। बिहार विधानसभा चुनाव में मुंगेर के तारापुर विधानसभा सीट से जीते जदयू नेता मेवालाल चौधरी को नीतीश सरकार ने शिक्षा मंत्री बनाया गया था। मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को शिक्षा विभाग संभाल भी लिया, लेकिन मेवालाल को प्रभार संभाले अभी ठीक से ढाई घंटे भी नहीं गुजरे थे कि उन्हें मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा। श्री चौधरी के अचानक इस्तीफे से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि शिक्षा मंत्री बने मेवालाल से इस्तीफा लेना ही था तो नीतीश सरकार ने इतनी भद पिटने की नौबत ही क्यों आने दी। क्या भाजपा के दवाब के कारण नीतीश कुमार को फैसले लेने को मजबूर किया गया। सवाल यह कि मेवालाल को शिक्षा विभाग का पदभार ग्रहण करने के पूर्व उनसे इस्तीफा क्यों नहीं लिया गया। कई का तो यह भी कहना है कि मेवालाल को गद्दी देकर खींचना नीतीश कुमार राजनीतिक स्टंट है। ऐसे कई सवाल हैं जो राजनीतिक गलियारे में तैर रही है।
उल्लेखनीय है कि इस्तीफा देने से पूर्व जब मंत्री मेवालाल चौधरी शिक्षा विभाग का पद संभाल रहे थे तो एक सवाल के जवाब में श्री चौधरी ने कहा कि विरोधियों की ओर से मेरे ऊपर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं। मेरे ऊपर कोई चार्जशीट नहीं है। पत्नी की मृत्यु से जुड़े सवाल पर कहा कि जिस आइपीएस अधिकारी ने यह आरोप लगाये हैं उनके खिलाफ 50 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा कर रह हूं। मेरे खिलाफ कोई तथ्य नहीं है, जिसकी जांच की बात हो। श्री चौधरी ने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक में बदलाव के लिए सुधार हमारी प्राथमिकता होगी। सिलेबस में जरुरत के हिसाब से संशोधन या बदलाव किया जाएगा। मेवालाल चौधरी ने कहा कि शिक्षा में बदलाव को लेकर रोडमैप बनाकर काम होगा।
बता दें मेवालाल चौधरी पर बीएयू सबौर में वीसी रहते प्रोफेसर नियु्क्ति में धांधली हुई थी। तत्कालीन वीसी रहे मेवालाल चौधरी पर आरोप लगने के बाद राज्यपाल के आदेश पर जांच कराई गई थी। हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस की जांच में उनपर लगे आरोप सही पाए गए थे। इस केस में मेवालाल चौधरी का भतीजा गिरफ्तार भी हुआ था। वहीं पूर्व वीसी पर सबौर थाने में केस दर्ज हुआ था।

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