भागलपुर : मछुआरों की आर्थिक स्थिति दयनीय, चूल्हा जलना भी मुश्किल

भागलपुर। पीस सेंटर परिधि के कार्यकर्ताओं द्वारा गंगा मुक्ति आंदोलन और जल श्रमिक संघ के मछुआरों के बीच शुक्रवार को कोविड-19 को लेकर जागरूकता सह राहत वितरण का कार्यक्रम चलाया गया। इस मौके पर मौजूद परिधि के निदेशक उदय ने कहा कि मछुआरों की रोजी-रोटी मछली मारने और बेचने से चलती है और बिना इसके इनका चूल्हा जलना भी मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इनके पास न तो अपनी जमीन है और न तो मनरेगा का जॉब कार्ड! उन्होंने बताया कि मछुआरों को मनरेगा के कवरेज से बाहर रखा गया है। सभी मछुआरों के पास अपना डेंगी और जाल नहीं होता है और वे नाव पर बतौर मजदूर ही काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अभी 1 जून से 30 अगस्त तीन महीना मछली पकड़ने पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है, क्योंकि यह मछली का ब्रीडिंग काल होता है, इसलिये नदी में मछली मारने पर 3 महीना प्रतिबंध होता है। उन्होंने कहा कि इस बार वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन के कारण मछुआरों की स्थिति ज्यादा खराब हुई है। उन्होंने कहा कि इसी स्थिति-परिस्थिति देखते हुए मांग किया है कि 3 महीने के प्रतिबंधित अवधि के लिए हर मछुआरे परिवार को दस हजार रुपये मुआवजा दिया जाय।
वहीं पीस सेंटर परिधि के राहुल ने स्वनिर्मित पोस्टर के जरिये कोरोना से बचने के उपाय को बताया और एक मीटर की दूरी, साबुन से हाथ धोने और मास्क लगाने पर उन्होंने जोर दिया। गंगा मुक्ति आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता रामपूजन ने सभी मछुआरों को राशन कार्ड, आवास और पीडीएस के द्वारा मास्क, साबुन आदि पर्याप्त मात्रा में देने की अपील की। इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजकों की तरफ से चावल, दाल, आटा, चूड़ा, नमक आदि का राहत पैकेट करीब 80 लोगों के बीच वितरण किया गया। अंत में उदय, राहुल, रामपूजन, भरत सिंह, अनिक महलदार, नरेश आदि सहित भारी संख्या में मछुआरों ने चीन-भारत सीमा पर शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी एवं सरकर से चीनी सामानों के आवक पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
