प्रमोशन में देरी से राज्य के 150 शिक्षक नहीं कर पाए वीसी पद के लिए आवेदन, कई 2026 में होंगे दावेदार

भागलपुर। प्रमोशन में देरी के कारण टीएमबीयू के 50 से अधिक शिक्षकों सहित राज्यभर के डेढ़ सौ से ज्यादा प्रोफेसर नियमित वीसी की नियुक्ति के लिए दावेदारी नहीं कर सके। प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन में देरी के कारण ये प्रोफेसर के रूप में 10 वर्ष के अनुभव की योग्यता हासिल नहीं कर सके। हालांकि देरी से प्रमोशन के बावजूद विश्वविद्यालयों ने इनके प्रमोशन को पिछली तिथियों से प्रभावी करार दिया है। जैसे किसी शिक्षक का प्रमोशन 2004 या 2005 में होना था लेकिन देरी के कारण इसकी प्रक्रिया 2013 में पूरी हुई तो प्रमोशन को 2004 या 2005 से ही प्रभावी माना जाएगा।
प्रोफेसर के रूप में 10 साल का अनुभव होना जरूरी
उधर स्टेच्यूट के अनुसार अधिसूचना जारी होने की तिथि से ही अनुभव की गिनती मानी जाती है। टीएमबीयू की बात करें तो यहां 1996 और 2003 बैच के ज्यादातर शिक्षकों का प्रमोशन काफी देरी से हुआ। प्रमोशन की अधिसूचना 2016 में जारी हुई। 50 से अधिक प्रोफेसर बने, लेकिन अधिसूचना जारी होने की तिथि से अब तक प्रोफेसर का अनुभव छह साल ही होता है जबकि वीसी नियुक्ति के लिए यह अनुभव 10 साल होना चाहिए। इसलिए ये शिक्षक आवेदन ही नहीं कर सके।
राजभवन या यूनिवर्सिटी के स्तर से हुई देर, कोर्ट जाने की तैयारी
भुस्टा के अध्यक्ष डॉ. डीएन राय ने बताया कि टीएमबीयू के ऐसे 50 से अधिक शिक्षकों को अब 2026 या उसके बाद वीसी की होने वाली नियुक्ति में ही आवेदन करने का मौका मिलेगा। शिक्षक नेता ने कहा कि प्रमोशन में देरी का जिम्मेदार सिस्टम है। राजभवन या यूनिवर्सिटी के स्तर पर प्रक्रिया में देरी के कारण यह स्थिति बनी है। दूसरी तरफ स्टेच्यूट में भी कमी है, जिसमें कहा गया है कि अधिसूचना की तिथि से अनुभव की गिनती की जाएगी। प्रमोशन में विश्वविद्यालय देरी करे तो शिक्षक क्यों प्रभावित हों। संघ विचार कर रहा है कि इस व्यवस्था को कोर्ट में चुनौती दी जाए ताकि इसे शिथिल किया जा सके।

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