एम्स नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल को ऐक्टू व महासंघ का समर्थन, लगाया आरोप- यहां कंपनी राज कायम

फुलवारीशरीफ। समान काम-समान वेतन व सुविधा, सरकारी कर्मियों के समान छुट्टी, कोरोना सहित बीमारी के इलाज में सरकारी कर्मियों, एम्स में इलाज की सुविधा व हेल्थ कार्ड बनाने, आउटसोर्स प्रथा बन्द कर सभी नर्सिंग स्टाफ को एम्स के तहत कार्य लेने जैसी 6 सूत्री जायज मांगों पर बेदी एंड बेदी एजेंसी से जुड़े एम्स की करीब 800 नर्सिंग स्टाफ के हड़ताल व उनकी जायज मांगों का ऐक्टू व असंगठित कामगार महासंघ, एम्स शाखा ने समर्थन किया है। ऐक्टू राज्य सचिव सह असंगठित कामगार महासंघ, एम्स अध्यक्ष रणविजय कुमार ने जारी विज्ञप्ति में केंद्र की मोदी सरकार से एम्स पटना में आउटसोर्स प्रथा पर पूरी तरह रोक लगाने और नर्सिंग स्टाफ सहित बेदी एंड बेदी, सम्पूर्णा, सीएचएस जैसी एजेंसी के अधीन कार्यरत सभी आउटसोर्स कर्मियों को एम्स के अधीन करने की मांग किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एम्स में केंद्र और राज्य सरकार का कानून नहीं बल्कि कंपनी राज कायम कर दिया गया है। यहां एजेंसी-कंपनियों द्वारा एक मात्र मजदूरों-कर्मियों से गुलामों की तरह खटाने, मांग करने पर काम से बाहर कर देने वाला कंपनी का क्रूर कानून कायम कर दिया गया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोरोना संकट के दौर में एम्स के नर्सिंग स्टाफ सहित सभी कर्मियों की सभी जायज मांगों को पूरा कराने में मोदी सरकार पर दवाब बनाने, एम्स के प्रशासनिक मामले खासकर कर्मियों की दुदर्शा पर हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए खुद पहल करने की भी जोरदार मांग किया है।
मजदूर नेता रणविजय कुमार ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एक ओर पूरा बिहार कोरोना संकट की चपेट में है तथा स्वास्थ्य कर्मी बुनियादी जरूरतों की मांग को लेकर आंदोलन करने को विवश हैं। वहीं मोदी सरकार एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्था के कर्मियों की मांगों के प्रति थोड़ा भी चिंतित नहीं है। उल्टे मोदी सरकार कर्मियों-मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए श्रम कानूनों को समाप्त करने और निजीकरण करने में मशगूल है।

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